सोने ही नहीं दिया तुमने। पूरी रात तुम्हारी ही यादों में गुजरी। मेरे सपनों में तुम्हारे अलावा और कोई आया ही नहीं कल।
सपने में तुम बादामी सूट और लाल चुन्नी में नजर आई मुझे। तुमने कहा लो सचिन देखो तुम्हारी शिखा को। कैसी लग रही हूं मैं इस सूट में ? तुम मुझे इसी सूट में देखना चाहते थे ना तो लो पहन लिया मैने तुम्हारे लिए। तुम तो कह रही थी कि किसी फंक्शन में पहनूंगी फिर अभी क्यों पहन लिया ?
मेरा मन नहीं माना सचिन तुम्हें दिखाए बिना पहन लूं। पहले तुम्हें ही दिखाना था जब लाई ही हूं तुम्हारे लिए। अच्छा अब बताओ ना कैसी लग रही है तुम्हारी शिखा तुम्हारे पसंद के सूट में ?
तुम्हें इस सूट में देखकर कुछ था नहीं मेरे पास कहने को। बस खुशी से तुम्हारे माथे को चूम लिया। क्या हुआ सचिन इमोशनल हो गए तुम। बताओगे नहीं, बोलोगे नहीं कुछ कैसी लग रही हूं मैं ?
क्या कहूं मैं तुम्हें शिखा ? क्या बताऊं मैं तुम्हें ? तुम कितनी प्यारी और खूबसूरत लग रही हो आज इस बादामी सूट और लाल चुन्नी में। जैसे आसमां से कोई अप्सरा उतर आई हो जमीं पे। आज वाकई में कोई शब्द नहीं हैं मेरे पास तुम्हारी मासूम मुस्कान और इस प्यारी खुबसूरती को बयां करने के लिए। सच में शिखा अगर आज मैं तुम्हें कहूं तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो तो ये शब्द भी छोटे होंगे आज तुम्हारी इस खुबसूरती के आगे।
शिखा कहूंगा नहीं आज कुछ भी बस तुम मेरी आंखों की चमक और खुशी देख लो और समझ जाओ तुम कैसी लग रही हो आज इस बादामी सूट और लाल चुन्नी में। पता नहीं शिखा रात कब गुजर गई हमारी इन बातों में। जब ट्रेन में कुछ हलचल शुरू हुई और शोर से मेरी आंख खुली तब देखा दिन निकल गया तुम्हारे खूबसूरत सपने के साथ।
तुम्हारा फेवरेट राइटर ✍️