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तुम्हें जगाने आया हूं

6 मार्च 2022

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बीते कुछ वर्षों से हमने, देखा बहुत, बहुत जाना।
हो सरकार कोई भी लेकिन, भरती है अपना खजाना।
बड़े बड़े मुद्दों को लेकर बात सभी तो करते हैं।
बात अगर आ जाती हमारी, कुछ कहने से बचते हैं।
आज इन्ही मुद्दों को लेकर तुम्हे बताने आया हूं।
आंख खोल ली अपनी मैंने तुम्हे जगाने आया हूं।।

दस बाई दस के कमरों में रहकर कितना भी पढ़ लो।
बन जाओ विद्या के सागर, मेरी बात जरा लिख लो।
नहीं मिली यदि भर्ती तो पढ़ कर क्या कर लेंगे हम?
पढ़ने के ही साथ लड़ाई हक़ की लड़ना सीखे हम।
यही आज अधिकार युद्ध की, नीति सिखाने आया हूं।
आंख खोल ली अपनी मैंने तुम्हे जगाने आया हूं।।

लाख किए व्यय धन हम सबने, किए प्रशिक्षण भी पूरे।
फिर क्यों दर दर भटक रहे, क्यों सपने अपने हैं अधूरे?
हमको अपने हक की खातिर, महाभारत लड़ना होगा।
जब तक न प्राप्त होगा अभीष्ट, हमको रण में अड़ना होगा।
आप युवा हैं, ओजपूर्ण हैं, याद दिलाने आया हूं।
आंख खोल ली अपनी मैंने तुम्हे जगाने आया हूं।।

आज अगर कुरुक्षेत्र आ गए, करने हम अधिकार संग्राम।
जीतेंगे या हों शहीद हम , अमर रहेगा अपना नाम।
आने वाली पीढ़ी लेंगी, स्वाभिमान मय नाम हमारा।
संघर्ष करें, मैदान न छोड़े, मिल जायेगा लक्ष्य हमारा।
जब तक प्राण रहेंगे तब तक, साथ निभाने आया हूं,
आंख खोल ली अपनी मैंने तुम्हे जगाने आया हूं।।
    


30 मार्च 2022

6 मार्च 2022

Suvrat Shukla

Suvrat Shukla

6 मार्च 2022

🙏

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रचनाएँ
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जीवन के विभिन्न पड़ावों के अनुभवों को सहेजता हुआ यह काव्यसंग्रह को किसी भूमिका की आवश्यकता क्या होगी, किंतु हमारा मानना है कि पाठकगण किसी पुस्तक को हाथ में लेने के उपरांत एक पूर्वाभास की खोज करते हैं। मैं उनके समक्ष आपने जीवन के चतुर्थ भाग में अर्जित अनुभवों एवं विचारो की श्रृंखला संग उपस्थित हूं

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