जिसकी मर्ज़ी साथ चले औ
जिसके मन में हो कट जाए
बेमन से मिलने से बेहतर
खुद ही रस्ते से हट जाए।
लम्बा रस्ता, ऊबड़ खाबड़
चारों और उड़े है धूल
छाँह तलाशे व्याकुल आँखें
जित देखो तित उगे बबूल ।
फिर भी जो भी साथ चल रहे
उनका अभिषेक, उनको नमन
भूखे प्यासे अलख जगाते
वंचित जन का हो अभिनन्दन।।।।