काम का कोई अंत नही
समय की कोई सीमा नही
सब कुछ अस्त-व्यस्त
ऐसे में कितना मुश्किल है
बचा पाना समय
खुद के लिए
अपनों के लिए
कुल मिलाकर
टालते जाता हूँ
अपनी ज़रूरतें
अपनी ख्वाहिशें
और
फिर से भिड जाता हूँ
एक बेहतर कल की उम्मीद के साथ
जाने वो कल कब आएगा ----