वे जो भी थे, जैसे भी थे
वे उस समय वैसे क्यों थे
इन सवालों का जवाब
क्यों खोजा जा रहा अब
उनके अपराधों की सुनवाई
हुई नहीं क्यों तब
क्यों नहीं तय की गई सज़ा
वे जो भी थे, वे हम नहीं थे
वे जो भी थे, वे तुम नहीं थे
बेशक उस समय हम नहीं थे
बेशक उस समय तुम नहीं थे
फिर क्यों पलटे जा रहे पन्ने
उस समय के जब तुम नहीं थे
जब हम नहीं थे
और इनमें से भी कोई नहीं था
वह भी नहीं जो आज पूर्वजों के
अपमान का बदला लेने के लिए
है हलाकान, परेशान और
चीख-चीख कर रहा ऐलान
कि बदला लेकर रहना है
तब के लोगों का
अब के लोगों से
इन सबके बीच हो रही घोषणा
अब का समाज है सभी समाज
कोई आदिम-बर्बर समाज नहीं है
और नेपथ्य में गूंज रही आवाज़
अबकी बार, बस एक बार
हो जाए लड़ाई आर-पार
ये आवाजों का कोलाज है दोस्तों
कुछ और लोग हो रहे इकट्ठे
वे भी मांग रहे हिसाब
खोले बैठे हैं पीढ़ियों की यातना की किताब
बेशक तब वे नहीं थे जब यातना दी गई
और वे भी नहीं थे जिन्होंने यातना दी
लेकिन बदला लेने का पढाई
सिर्फ वे ही नहीं पढ़ते हैं भाई
कभी-कभी लगता है कि हमारा समय
एक-दूसरे से बदला लेने का समय है
एक-दूजे के पूर्वजों के किये-अनकिए
अपराधों की सज़ा देने-भुगतने का समय