अपनापन, भाईचारा'मैं' के भाव ने सब को माराइस में अपनेपन की छाँव नहीं'मैं' हूँ, 'हम' का भाव नहीं 'मैं' में स्वार्थ हरा-भरा लालच में लिपटा, अपने निमित्त 'मैं' से आपस का भाईचारा मराऊपर उठने की मनसा'हम' का मनोभाव नहीं 'मैं' के उद्धार करण मेंऔरों की बड़ती से मन झुलसा
हम सभी जानते हैं कि पैसा खुशी नहीं खरीद सकता है ... लेकिन कई बार हम ऐसा कार्य करते हैं जैसे कि हम थोड़े अधिक पैसे के साथ खुश हैं। हम अमीर बनने के लिए इच्छुक हैं (जब हम जानते हैं कि अमीर खुश नहीं हैं या तो); हमें उस नवीनतम गैजेट या शैली को प्राप्त करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। हम अधिक पैसा कमा
सोचता हूँ गढ़ दूँ मैं भी अपनी मिट्टी की मूर्ति, ताकि होती रहे मेरे अहंकारी-सुख की क्षतिपूर्ति। मिट्टी-पानी का अनुपात अभी तय नहीं हो पाया है, कभी मिट्टी कम तो कभी पर्याप्त पानी न मिल पाया है। जिस दिन मिट्टी-पानी का अनुपात तय हो जायेगा, एक सुगढ़ निष्प्राण शरीर उभर आयेगा। कोई क़द्र-दां ख़रीदार भी होगा रखे