चुनावी मेंढक Poem on Delhi election
फिर से निकलेंगे चुनावी मेंढक इस चुनाव में,वो घोषणाओं के पुल बांधेंगे, लोगो को लालच देकर बहलायेंगे और फुसलायेंगे, सभी जाति-धर्मों के लोगों से अलग -अलग मिलकर उनका दुखड़ा गाएंगे,नीले सियार के वेश में आकर खुद को शेर बताएँगे, चुनाव जीतने के लिए ये दंगा भी करवाएंगे,फिर से होंगे नए-नए वादे, जुमले जुमलों का