अनबनी बारिश है कुछ ऐसी,
जिसका कुछ पता नहीं।
कब बरसे,
कब निकल जाए सूरज।
गर्मी का मौसम,
उम्मीद जगाते बादल।
न जाने कब बरस पड़े,
लेकर ठंडी हवा का कलेवर।
अनबनी बारिश है कुछ ऐसी,
जिसका कुछ पता नहीं।
बूंदा बांदी लगती कुछ अपनी,
उम्मीद जगाती।
बरसेंगे बादल।
गरम हवा और उड़ती धूल,
की दुश्मन।
गड़गड़ाते बादल,
उसमे छुपा मीठा पानी।