दिल की बाते गर सुन ले तो ओर भी अच्छा हैउसके बिन अब जीना है प्यार मेरा ये सच्चा है...एक ख्वाब सा आया मुझको, फिर जाने क्यों रूठ गयादिल था पत्थर लेकिन फिर भी,इक फूल&nbs
सलिल पयोधर विचरण करते नभ के वे अभिमान हैं l स्वर्ण रूप हैं प्रलय समेटे जीवन धन प्रतिमान हैं ll तैर रहे हैं निश्छल प्रतिपल धरती के श्रंगार बने हैं l अाच्छादित नभ में विस्फारित धरती के अध
वियोग श्रीराम को सीता से ही नही श्रीकृष्ण को राधा से ही नही ,, शिव जी को भी सती से हुआ था नेत्रों से अश्रु धारा बह रही थी हृदय भी असीम दु:खी हुआ था मच रही थी तीनों लोक हाहाकार प्रकृति भी खूब रोई थी
जब दिल में जज्बात ही नहीं रहे जीने की आशा ही नहीं रही तो इस आला को लगाने से क्या फायदा?? इलाज तो उसका होता है जो श्वांस ले रहा हो। निःश्वांस दिल का क्या हो?? जब तुम थे तो ये दिल बल्लियों उछला करता था
मत्तगयंद सवैयासात भगण अंत दो गुरु211 211 211 211, 211 211 211 22साजन छोड़ गए परदेश लगे घर सून मुझे दिन राती।दूर पिया सुध में प्रियसी दिन रात जलूं जस दीपक बाती।कौन कसूर हुआ हमसे प्रिय छोड़ गए सुलगे निज छाती।ब्याह किया खुश थे कितना पर आज कहें मुझको अपघाती।निश्चल प्रेम किया उनसे समझे न पिया दिल की कछु बा