दिल की बाते गर सुन ले तो ओर भी अच्छा है
उसके बिन अब जीना है प्यार मेरा ये सच्चा है...
एक ख्वाब सा आया मुझको,
फिर जाने क्यों रूठ गया
दिल था पत्थर लेकिन फिर भी,
इक फूल से टूट गया
मन मेरा नाम उसी का जपता है
वो मुझसे बात नही अब करता है
मन रोया और,गीत उसी के रचता है...
आंखों ने अपनी सुध बुध खोई है
याद नहीं पर जग जग कितना रोई है
इक हमने उसको दिल में बैठाया था
चलो अब कोई नही अपना ही तो साया था
अब नींद नहीं , दिल तुम्हारी राहें तकता है
अब तुमको कहना कैसा, प्यार तुम ही से रचता है...
- रोहित कुमार "मधु"