23 अप्रैल 2022
केवल मनुष्य ही एक मात्र ऐसा प्राणी है जिसका व्यक्तित्व निर्माण प्रकृत्ति से ज्यादा उसकी स्वयं की प्रवृत्ति पर निर्भर होता। मनुष्य अपने विचारों से निर्मित एक प्राणी है, वह जैसा सोचता है वैसा बन जाता है