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यातायात व्यवस्था और हमारे शहर

14 अगस्त 2016

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कल  समाचार  देख रहा था तो केंद्र सरकार  के नए क़ानून की जानकारी मिली बहुत ही अच्छा है की क़ानून और कड़े कर दिए गए हैं यातायात के ,मगर ऐसा नहीं है की अभी कोई क़ानून नहीं था देश में समस्या की जड़ कहीं और है,  जहां तक मेरा समझ कहता है जब तक आम भारतीय नागरिक नहीं जागेगा क़ानून से हम लक्ष्य शून्य दुर्घटना हासिल नहीं कर सकते हैं, विद्यालय के पाठ्यक्रम में यातायात भी विषय के टूर पे सामिल करना चाहिए और जो इस विषय में पास नहीं करे उसका परिच्छा फल रोक देना चाहिए क्योंकि ये सीधे टूर पर हम सबों के जिंदगी से जुड़ा हुआ विसय है और अगर बुनियाद ही खोखला होगा तो समाज वैसा ही बनेगा आज जिस हालात से गुजर रहें है वो सबके सामने है अभी भी नहीं चेते तो फिर कब चेतेंगे ?

हर अभिभावक को चाहिए की बच्चे को वहां देने के पहले यातायात के सभी नियमों को पालन करने के लिए बताये और बाध्य करे आवर उचित आयु होने पर ही बच्चों को वाहन चलाने की अनुमति दें .

हर समस्या की तरह इस समस्या का दूसरा  पहलू भी है पुलिस भी अपने कर्त्तव्य का पालन पूरी निष्ठा से करे 

अन्तोगत्वा सिर्फ दंड ही नहीं पारितोषिक से भी सुधारने की व्यवस्था हो तो कुछ हद तो कामयाबी जरूर मिलेगी.  

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