shabd-logo

क्यों दें.. उजड़ने

10 जनवरी 2022

44 बार देखा गया 44
🍃नाम सुनने से ही कितनी पीड़ा होती है । उजडा घोसला ! भला वो किसी की भी आसियाना क्यों न हो  ......सभी के लिए उतना ही दुखद होता है ।

मेरे छत की ऊपरी खिड़की के ऊपर   गोरैये के एक जोड़े ने घोसला बनाए । मैंने भी बार - बार झाँक -झाँक  कर देखा करती कि , इस गोरैये के घोन्सला और कितना बनकर तैयार हुआ है ।
मुझे भी इनका  घोसला बनाते हुए , देखना बहुत भाता था । मुझे तो ऐसा लगता कि ये मेरा ही घर बन रहा है । मॆ भी इतना ही प्रफुल्लित होती,  जितना ये दोनों हो रहे थे । इन दोनों के प्यार से चहचहाना  वातावरण में कितना सूकून पंहुचाता था ।  छोटे -छोटे बेकार की घास चुन -चुन कर लाना फिर इन्हें घोसलें में सजाना , फिर ची- ची करके इनका गाने लगना ,   कितना ही मनमोहक हुआ करता था । इसलिए तो ये हमारे सदस्य सा ही हमें महसूस हुआ करता था । हमने इन  चिडीयो को ही सोच एक मिट्टी के खुले बर्तन में पानी भर कर उनके सुबिधा - नुसार जगह पर रख दिया करती  , और दाने भी अपने केम्पस में बिखेर देती,  जिसे ये गोरैये के साथ- साथ कई और चिड़िया आ - आ कर चुगती । कितना प्यारा क्षण हुआ करता था वो समय मेरे लिए  । कितना प्यारा समय इन्हें देख देख कर गुजरता रहा था मेरा ।

वातावरण में गर्मी बहुत ज्यादा पड़ रही थी ।  सुबह मे इनके लिये रखा पानी भी शाम तक सुख   जाया करता था जब - तब बीच - बीच में आंधी का आ जाना आम सा हो गया था । इस तरह के मौसम चल रहा था ।

एक दोपहर एक जोर- दार आंधी आयी । हमलोग जल्दी जल्दी सारे सामान समेट घर के अंदर आ गए ।  हवा इतनी ज्यादा तेज थी कि वातावरण  में हवा के कारण  सांय - सांय  की भयानक आबाजे आ रही थी । लगातार चार घंटे  की आंधी  पानी होने के बाद जब मौसम साफ हो गया तो मैंने सबसे पहले गोरेये की घोसले को ही मैंने देखना चाहा कि वह सुरक्षित तो है ना ......। मै वह सीन देखकर स्तब्ध रह गई । यहा घोसला के नाम पर कुछ भी नहीं था  ।

मै बहुत ही दुःखी  दुःखी हो गई । कितनी खुश होती थी ,ये चिरिया और मै भी घोसले को देखकर के .....।      अब घोसले के नाम पर कुछ भी नहीं बचा है । उफ ! कितनी दुःखी होगी वे गौरेये जो इतने मेहनत से तिनके -  तिनके  जमा  कर के  अपना घौसला बनाया था ...........।  मैंने झट इधर -  उधर अपनी  नजरें दौङायी ।  मैंने देखा   कि  मेरे केम्पस के एक छोटे से पेड़ पर  वे गौरेये बहुत ही दुःखी अबस्था में बैठे हुए है ।  उनका दुःखी होना एकदम से दिख रहा है मुझे .......। उन्हें दुःखी देख मै और ज्यादा दुःखी हो गई ,  तब और ज्यादा समझ में आया कि  , किसी का आसियाना उजरना कितना दुःख की बात होती है ।

कुछ समय तक युँ ही बार- बार  मै बाहर आ -आ कर वे गौरेया  को  देखा करती थी ,जो अभी भी दुखी हो  उसी  डाली    पर बैठे हुए है  । मै भी ऐसे में उदास हो वापस लौट आती । मै  बार -  बार बाहर आ -आ कर उन्हें देखती रही । तब मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा जब मैंने चिड़िया को डाली पर बैठा नहीं देखा ,  मेरी नजरें फिर से घोसलें पर ही गई , जहां पर दोनों फिर से चहचहा करके अपना घोसला फिर नए सिरे से तैयार कर रही थी ।

मैंने इस बात से एक बड़ी सीख़ ली चाहे परिस्थिति कैसी भी आ गई हो । संयम एवं धीरज से अपने गोल की ओर फिर से दौड़ लगाए ,  सफलता जरूर मिलेगी । जब तक सफलता ना मिले हारना नहीं है । बस फिर से तैयार हो जाना है  अपने उद्देश्य के लिये ।

🙏🏻🙏🏻

8
रचनाएँ
अप्रत्यासित सा..🌺🌺
0.0
कुछ अलग.. शायद सबसे अलग.. कुछ पानेक़ी , सोचने क़ी, मिलने क़ी उम्मीद..हो मिलने बाली.. आगे यही सब.. कुछ ख़ास हैं होने बाली..। 🤗
1

सही नहीं.. दिल्लगी

10 जनवरी 2022
3
0
0

यें..दिल जब किसी पर सचमुच में आ जाती है ....। तो सिर्फ दिल लगाने बाले ही इसकी दशा जानते है ....। कैसे वो दिल के साथ साथ क्या क्या खो देता है । यह बस वहीं जनता है । किसी साधारण

2

क्यों दें.. उजड़ने

10 जनवरी 2022
3
0
0

🍃नाम सुनने से ही कितनी पीड़ा होती है । उजडा घोसला ! भला वो किसी की भी आसियाना क्यों न हो ......सभी के लिए उतना ही दुखद होता है । मेरे छत की ऊपरी खिड़की के ऊपर गोरैये के एक जोड़े ने घोसला बन

3

आईना सा..

10 जनवरी 2022
0
0
0

🌺🌿🌸 अरे बहादुर शाह जी आपका बेटा तो आपका आईना दीखता.. हैं.. ऐसी हीं.. कुछ दुआएं.. देतें.. जो उन्हें देखते.. कुछ ऐसी ह

4

सौभाग्यवती..

10 जनवरी 2022
1
0
0

🌺🌺सौभाग्यवती भव... का आशीर्वाद ससुर मोहन लाल जी ने मिली को दिया था । मिली ने जैसे ही ससुर जी के पाँव छुये थे उस समय.. । मिली को तो लगा था चिल्ला - चिल्ला कर बता दू कि कैसा सौभाग्यवती । य

5

डॉक्टर साहिबा हैं..

10 जनवरी 2022
0
0
0

☘️☘️डॉक्टर साहिबा..है । डॉक्टर साहिबा..है .....इस तरह से चिल्लाने की आवाज़ सुन के क्लिनिक के केयर टेकर रामु ने डॉक्टर के क्लिनिक को खोला और उन्होंने आबाज लगाने बाले रहीम से कहा भाई.....! डॉ

6

डॉक्टर साहिबा हैं..

10 जनवरी 2022
0
0
0

🌸🌸डॉक्टर सहिबा..है । डॉक्टर सहिबा..है .....इस तरह से चिल्लाने की आवाज़ सुन के क्लिनिक के केयर टेकर रामु ने डॉक्टर के क्लिनिक को खोला और उन्होंने आबाज लगाने बाले रहीम से कहा भाई.....! डॉक्

7

पिकनिक

12 जनवरी 2022
0
0
0

🌺🌿पिकनिक नाम से ही बड़े ,युवा हो या बच्चा सबों के खुशियों का ठिकाना ही नहीं रहता है । दिसंबर की प्यारी गुनगुनाती धूप में हमने भी अपने पूरे परिवार के साथ - साथ अपने फ्रें

8

आजादी...

12 जनवरी 2022
2
0
0

🌸🍃आजादी कितनी प्यारी शब्द है ना ! सुनते ही रग - रग में खुशियों की लहर दौड़ जाये । सही मायने में आज जानवर ही आजाद है , उस अपवाद जानवर को छोड़ कर जो जंजीर में या पिंजरे में कैद है&nbsp

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए