अशोक कुमार पांडेय
अशोक कुमार पांडेय हिंदी साहित्य के बड़े साहित्यकार माने जाते है. वे हिंदी कवि, कथा लेखक तथा महान इतिहासकार भी है. इतिहास में प्रमुखतः इन्हें कश्मीर का महान इतिहासकार कहा जाता है. कश्मीर के लिये इन्होंने :कश्मीरनामा’ और ‘कश्मीर पंडित’ जैसी पुस्तकों की रचना की. जो कि बहुत लोकप्रिय हुई. सामाजिक, सांस्कृतिक क्षेत्र में सक्रिय अशोक कुमार पांडेय कविताओं के साथ-साथ आर्थिक विषयों पर आलेख लिखते हैं,अनुवाद करते हैं,समीक्षायें करते हैं और साथ ही रोचक कहानियां भी लिखते हैं. हिन्दी की अनेक प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में उनके लेख भी नियमित रूप से प्रकाशित होते है. अशोक कुमार पांडेय का जन्म 24 जनवरी 1975 को गांव सुग्गीचौरी, मऊ, उत्तर प्रदेश में हुआ. उनका जन्म साधारण परिवार में हुआ. उन्होंने अपनी प्राथमिक पढ़ाई देवरिया, उत्तर प्रदेश से पूरी की. इसके बाद आगे की शिक्षा के लिए वे गोरखपुर चले गए और वहाँ गोरखपुर विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक और स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की. शिक्षा के साथ – साथ उनकी हिंदी साहित्य में रुचि बढ़ती गई जिसके कारण उन्होंने कविताओं की रचना प्रारंभ कर दी. थोड़े समय बाद वे कविताओं के साथ अनेक ऐतिहासिक विषयो पर पुस्तकें भी लिखने लगे. वर्तमान में वे मध्यप्रदेश के ग्वालियर में निवास करते है. वेबसाइट : https://ashokkumarpandey.com/ ईमेल : ashokk34@gmail.com
सावरकर: काला पानी और उसके बाद
यह किताब एक सावरकर से दूसरे सावरकर की तलाश की एक शोध-सिद्ध कोशिश है। सावरकर की प्रचलित छवियों के बरक्स यह किताब उनके क्रांतिकारी से राजनेता और फिर हिन्दुत्व की राजनीति के वैचारिक प्रतिनिधि तथा पुरोधा बनने तक के वास्तविक विकास क्रम को समझने का प्रयास
सावरकर: काला पानी और उसके बाद
यह किताब एक सावरकर से दूसरे सावरकर की तलाश की एक शोध-सिद्ध कोशिश है। सावरकर की प्रचलित छवियों के बरक्स यह किताब उनके क्रांतिकारी से राजनेता और फिर हिन्दुत्व की राजनीति के वैचारिक प्रतिनिधि तथा पुरोधा बनने तक के वास्तविक विकास क्रम को समझने का प्रयास
राहुल सांकृत्यायन: अनात्म बेचैनी का यायावर
हिन्दी साहित्य में राहुल सांकृत्यायन की वैचारिक दृढ़ता, लेखन और घुमक्कड़ी के तमाम क़िस्से सुनते-पढ़ते हुए कई पीढ़ियों ने लिखना सीखा। जीवन में वामपंथी स्टैंड लेना हो या बौद्ध धर्म की लुप्तप्राय पांडुलिपियों के लिए दुनिया भर की ख़ाक छानते हुए भटकना; हम
राहुल सांकृत्यायन: अनात्म बेचैनी का यायावर
हिन्दी साहित्य में राहुल सांकृत्यायन की वैचारिक दृढ़ता, लेखन और घुमक्कड़ी के तमाम क़िस्से सुनते-पढ़ते हुए कई पीढ़ियों ने लिखना सीखा। जीवन में वामपंथी स्टैंड लेना हो या बौद्ध धर्म की लुप्तप्राय पांडुलिपियों के लिए दुनिया भर की ख़ाक छानते हुए भटकना; हम
कश्मीरनामा
‘‘अशोक कुमार पाण्डेय की ‘कश्मीरनामा’ हिन्दी में कश्मीर के इतिहास पर एक पथप्रदर्शक किताब है। यह किताब घाटी के उस राजनैतिक इतिहास की उनकी स्पष्ट समझ प्रदर्शित करती है जिसने इसे वैसा बनाया, जैसी यह आज है।’’-शहनाज बशीर, युवा कश्मीरी उपन्यासकार ‘‘ ‘कश्मीर
कश्मीरनामा
‘‘अशोक कुमार पाण्डेय की ‘कश्मीरनामा’ हिन्दी में कश्मीर के इतिहास पर एक पथप्रदर्शक किताब है। यह किताब घाटी के उस राजनैतिक इतिहास की उनकी स्पष्ट समझ प्रदर्शित करती है जिसने इसे वैसा बनाया, जैसी यह आज है।’’-शहनाज बशीर, युवा कश्मीरी उपन्यासकार ‘‘ ‘कश्मीर
कश्मीर और कश्मीरी पंडित
यह किताब कश्मीर के उथल-पुथल भरे इतिहास में कश्मीरी पंडितों के लोकेशन की तलाश करते हुए उन सामाजिक-राजनैतिक प्रक्रियाओं की विवेचना करती है जो कश्मीर में इस्लाम के उदय, धर्मान्तरण और कश्मीरी पंडितों की मानसिक-सामाजिक निर्मिति तथा वहाँ के मुसलमानों और पं
कश्मीर और कश्मीरी पंडित
यह किताब कश्मीर के उथल-पुथल भरे इतिहास में कश्मीरी पंडितों के लोकेशन की तलाश करते हुए उन सामाजिक-राजनैतिक प्रक्रियाओं की विवेचना करती है जो कश्मीर में इस्लाम के उदय, धर्मान्तरण और कश्मीरी पंडितों की मानसिक-सामाजिक निर्मिति तथा वहाँ के मुसलमानों और पं
उसने गाँधी को क्यों मारा
यह किताब आज़ादी की लड़ाई में विकसित हुये अहिंसा और हिंसा के दर्शनों के बीच कशमकश की सामाजिक-राजनैतिक वजहों की तलाश करते हुए उन कारणों को सामने लाती है जो गांधी की हत्या के ज़िम्मेदार बने। साथ ही, गांधी हत्या को सही ठहराने वाले आरोपों की तह में जाकर उ
उसने गाँधी को क्यों मारा
यह किताब आज़ादी की लड़ाई में विकसित हुये अहिंसा और हिंसा के दर्शनों के बीच कशमकश की सामाजिक-राजनैतिक वजहों की तलाश करते हुए उन कारणों को सामने लाती है जो गांधी की हत्या के ज़िम्मेदार बने। साथ ही, गांधी हत्या को सही ठहराने वाले आरोपों की तह में जाकर उ
इस देश में मिलिट्री शासन लगा देना चाहिए
"क्या हम सिर्फ़ मज़बूत लोगों की लड़ाई लड़ रहे हैं? कमज़ोरों के हक की लड़ाई में कमज़ोरों के लिए कोई जगह नहीं? (इस पुस्तक की एक कहानी, ‘और कितने यौवन चाहिए ययाति?’ में से) ये पंक्तियाँ सिर्फ़ इस कहानी की पंक्तियाँ नहीं हैं। ये अशोक कुमार पाण्डेय की कहानियों
इस देश में मिलिट्री शासन लगा देना चाहिए
"क्या हम सिर्फ़ मज़बूत लोगों की लड़ाई लड़ रहे हैं? कमज़ोरों के हक की लड़ाई में कमज़ोरों के लिए कोई जगह नहीं? (इस पुस्तक की एक कहानी, ‘और कितने यौवन चाहिए ययाति?’ में से) ये पंक्तियाँ सिर्फ़ इस कहानी की पंक्तियाँ नहीं हैं। ये अशोक कुमार पाण्डेय की कहानियों