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रिच डैड पुअर डैड

रॉबर्ट टोरू कियोसाकी

3 अध्याय
0 लोगों ने खरीदा
4 पाठक
27 अप्रैल 2023 को पूर्ण की गई
ISBN : 9788186775219
ये पुस्तक यहां भी उपलब्ध है Amazon Flipkart

यह बेस्टसेलिंग पुस्तक सरल भाषा में सिखाती है कि पैसे की सच्चाई क्या है और अमीर कैसे बना जाता है। लेखक के अनुसार दौलतमंद बनने की असली कुंजी नौकरी करना नहीं है, बल्‍कि व्यवसाय या निवेश करना है। यह मिथक तोड़ती है कि अमीर बनने के लिए ज़्यादा कमाना ज़रूरी है — ख़ासकर ऐसी दुनिया में जहाँ तकनीक, रोबोट और एक वैश्विक अर्थव्यवस्था से नियम बदल रहे हैं • यह सिखाती है कि क्यों भविष्य के लिहाज़ से भारी—भरकम वेतन पाने के बजाय संपत्ति हासिल करना और बनाना ज़रूरी हो सकता है — और वे कौन—से टैक्स के लाभ हैं जो निवेशक तथा बिज़नेस मालिक प्राप्त करते हैं • इस विश्वास को चुनौती देती है कि आपका घर एक संपत्ति है — लाखों लोगों ने इसे पहली बार तब जाना जब हाउसिंग से जुड़ी मान्यताएँ टूट गई और सब—प्राइम मोर्गेज की विफलता से परेशानी होने लगी • हमें बताती है कि पैसे के बारे में हमारे बच्चों को सिखाए जाने के लिए क्यों स्कूल के भरोसे नहीं बैठना चाहिए — और यह महत्वपूर्ण जीवन कौशल पहले से कहीं अधिक महत्व रखता है • आपको बताती है कि अपने बच्चों को पैसे के बारे में क्या सिखाना चाहिए — ताकि वे आज की दुनिया की चुनौतियों तथा अवसरों के लिए तैयार हो जाएँ और उस समृद्धि को हासिल कर सकें जिसके वे हक़दार हैं ''रिच डैड पुअर डैड हर उस व्यक्ति के लिए एक शुरुआत की तरह है जो अपने वित्तीय भविष्य पर नियंत्रण चाहता है'' - यू एस ए टुडे 

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क्या आप अमीर बनना चाहते हैं? जाहिर है शायद ही कोई हो जो इस सवाल का जवाब न में दे। जवाब तो हां होगा, लेकिन इसके लिए करें क्या, इस पर सबकी राय एक नहीं होगी। इस पेचीदा से मसले को आसानी से समझाने की बेहद शानदार कोशिश है यह किताब। नाम है 'रिच डैड, पुअर डैड'। यूएसए टुडे के मुताबिक, जो कोई भविष्य में अमीर बनना चाहता है, उसे अपनी शुरुआत 'रिच डैड, पुअर डैड' से करनी चाहिए। रॉबर्ट टी. कियोसाकी की यह बेस्टसेलर बुक, शिक्षा, सफलता और समृद्धि की परंपरागत परिभाषाओं से हटकर एक दम नए तरह के विचार बेहद दिलचस्प ढंग से पेश करती है। रियल इस्टेट और पूंजी निवेश के व्यवसाय से जुड़े रॉबर्ट लोगों को धन दौलत के बारे में सिखाकर बहुत आनंद महसूस करते हैं। उन्होंने यह किताब 25 साल पहले लिखी थी। लेकिन इतना अरसा गुजर जाने के बाद भी यह न सिर्फ बेस्टसेलर का दर्जा बरकरार रखे हुए है, बल्कि आज पहले से ज्यादा प्रासंगिक जान पड़ती है। यह वह किताब है, जिसे अमेरिका की ओपरा विन्फ्रे और विल स्मिथ जैसी हस्तियां एन्डोर्स कर चुकी हैं। और तो और, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप रॉबर्ट के क्रान्तिकारी विचारों से इतना प्रभावित हुए कि उनके साथ दो किताबों के लिए लिटरेरी कोलैबोरेशन तक कर डाला। पहली थी 2006 में आई 'व्हाय वी वांट यू टू बी रिच, टू मैन वन मैसेज' और दूसरी 2011 की 'मिडास टच: व्हाय सम आंट्रप्रेन्योर्स गेट रिच— एंड व्हाय मोस्ट डॉन्ट'। लेकिन, रॉबर्ट ने यह सफलता रातोरात हासिल नहीं की। किताब की यात्रा भी बेहद रोचक है। रॉबर्ट के मुताबिक, इसे छपवाने के लिए उन्होंने जिस किसी पब्लिशर से बात की, उसने इंकार कर दिया। अंत में उन्हें इसे अपने खर्च पर छपवाना पड़ा। आज से 25 साल पहले सेल्फ पब्लिशिंग का विचार इतना प्रचलित नहीं था, जितना कि आज है। इस किताब में बार-बार जिस जोखिम को स्वीकार करने का आग्रह किया है, रॉबर्ट ने वही जोखिम तब उठाया। नतीजा इस किताब की चमत्कारिक सफलता के रूप में सबके सामने है। सौ से अधिक देशों की पचास से ज्यादा भाषाओं में छप चुकी 'रिच डैड, पुअर डैड' की चार करोड़ से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं। अगर इन आंकड़ों पर यकीन करें तो निष्कर्ष निकलता है कि दुनिया के हर 200 में से एक आदमी ने यह किताब खरीदी है। यह ऐसी किताब है, जिस पर करीब एक दर्जन किताबें दूसरे लेखक लिख चुके हैं। रॉबर्ट टी. कियोसाकी ने इसके बाद रिच डैड सीरीज में बहुत सारी किताबें लिखीं, लेकिन कोई इस सफलता को नहीं दोहरा सकी, जो 'रिच डैड, पुअर डैड' को मिली। उनकी दूसरी चर्चित किताबों में 'द बिजनेस स्कूल फॉर पीपल, हू लाइक टू हेल्पिंग पीपल, 'द बिजनेस ऑफ द ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी', ‘व्हाय रिच आर गेटिंग रिचर’ प्रमुख हैं। किताब का पूरा मसौदा रॉबर्ट के दो डैडियों यानी रिच डैड और पुअर डैड के बारे में है। इनमें एक रॉबर्ट के जैविक पिता हैं, जिन्हें वह पुअर डैड कहते हैं। वह रॉबर्ट को सिखाते हैं कि जीवन चलाने के लिए पैसा जरूरी है और पैसा कमाने के लिए हमें काम करना होता है। जबकि रॉबर्ट के दूसरे डैड यानी रिच डैड असल में उनके बचपन के दोस्त माइक के पिता हैं। उनका मानना है कि वह पैसे के लिए काम नहीं करते, बल्कि पैसा उनके लिए काम करता है। उनके विचारों से प्रभावित होकर रॉबर्ट उन्हें अपना डैड मानने लगते हैं और बचपन से उनसे अमीर बनने के सूत्र जानने की कोशिश करते रहते हैं। 9 साल की उम्र से शुरू हुआ यह प्रशिक्षण 30 बरसों तक चलता है। रॉबर्ट को 6 बेहद अहम सबक हासिल होते हैं, जिन्हें वह बहुत प्रभावी तरीके से इस किताब के जरिए आप तक पहुंचाते हैं। अमीरों के लिए पैसा कैसे काम करता है, इसे रॉबर्ट उलझी हुई आर्थिक शब्दावली से इतर बेहद बिंदास अंदाज में हमारे सामने लाते हैं। वह कहते हैं कि पैसे के लिए काम करने वाले लोग असल में अपने मालिक, सरकार और बैंक वगैरह के लिए काम करते हैं। उनकी मेहनत से होने वाली आमदनी का बड़ा हिस्सा मुनाफे के रूप में मालिकों या शेयर होल्डरों को, करों के रूप में सरकार को और ब्याज के रूप में बैंक को चला जाता है। खुद उन्हें अपनी मेहनत का बहुत छोटा सा हिस्सा ही मिल पाता है। वे कभी अमीर नहीं बन पाते। सीधे तौर पर कहें तो वह नौकरी को अमीरी की राह में एक रोड़े की तरह पेश करते हैं। रिच डैड का फलसफा है कि ऐसे लोग पैसे को लेकर अपने अज्ञान और डर की वजह से, सारी जिंदगी चूहादौड़ में फंसे रहते हैं। होना यह चाहिए कि हम भावनाओं के बजाए दिमाग से चलें। वेतन के लिए काम करने वाले अपनी नाक के नीचे मौजूद अवसरों को नहीं देख पाते। तो क्या करें? रिच डैड कहते हैं, पैसे की समझ विकसित करें। किताब उन लोगों का उदाहरण देती है जो अलग-अलग क्षेत्रों में काम करके अपार दौलत कमा गए, लेकिन पैसे की समझ न होने से कुछ ही समय बाद गरीब हो गए। यानी असल मसला यह नहीं कि आप कितना कमा पाते हैं, बल्कि यह है कि कितना पैसा बचा पाते हैं। पैसे को सब समस्याओं का हल मानने के बजाय लचीला होना, सीखना और दिमाग खुला रखना ज्यादा जरूरी है। ऐसेट को शब्दों से नहीं, अंकों से पढ़ा जाता है। अमीर बनने के लिए यह समझना जरूरी है। अमीर लोग ऐसेट इकट्ठा करते हैं और गरीब या मध्य वर्ग के लोग लायबिलिटी। किताब की बड़ी खूबी यह है कि इसमें अपनी बात को समझाने के लिए तमाम वे तौर तरीके अपनाए गए हैं, जो आमतौर पर मोटिवेशनल किताबों में नहीं दिखते। जैसे कि ऐसेट और लायबिलिटी का फर्क समझाने के लिए रिच डैड आसान रेखाचित्रों का इस्तेमाल करते हैं। इनसे ऐसेट के कैश फ्लो पैटर्न और लायबिलिटी के कैश फ्लो पैटर्न समझना बच्चों का खेल हो जाता है। यह पैटर्न बताता है कि ऐसेट जेब में पैसे डालती है और लायबिलिटी पैसे निकालती है। सामान्य लोग इसे आमदनी और खर्च का हिसाब-किताब कहते हैं, लेकिन अमीर लोग इसे ऐसेट और लायबिलिटी का लेखा-जोखा कहते हैं। वे ऐसेट वाले कॉलम को बढ़ाते जाने को प्राथमिकता देते हैं। जैसे कि घर और कार जैसी चीजें ऐसेट नहीं, लायबिलिटी हैं। इसमें किए गए निवेश फायदे का सौदा नहीं। वजह यह कि इसमें आमदनी का बहुत सारा हिस्सा लंबे समय के लिए फँस जाता है। इसके चलते आप बहुत से अवसर गंवा देते हैं। सबक यह कि अमीर ऐसेट खरीदते हैं और गरीब सिर्फ खर्च करते हैं। मध्यम वर्ग लायबिलिटी खरीदता है लेकिन सोचता है कि वह ऐसेट खरीद रहा है। ऐसा ही एक और दिलचस्प सबक रॉबर्ट बहुत रोचक तरीके से समझाते हैं। काम पर ध्यान देने की जरूरत। एक संस्थान में काम करना आपका पेशा है, लेकिन अगर आप उस संस्थान के मालिक हैं तो वह आपका बिजनेस है। स्कूली पढ़ाई की सीमाओं की पोल यहीं आकर खुलती है। आप जो सब्जेक्ट पढ़ते हैं, उसी में करियर बना सकते हैं। और ऐसा करके आप सारा जीवन अपने काम के बजाए दूसरों के काम का ध्यान रखने में बिता देते हैं। मेहनत आपकी और अमीर बनता है कोई दूसरा। अमीरों और गरीबों के बीच की एक महीन सी ऑब्जर्वेशन बहुत जानदार तरीके से किताब ने सामने रखी है। आम लोग विलासिता की चीजें सबसे पहले खरीदते हैं, जबकि अमीर सबसे बाद में। उनके कहने का मतलब है कि जब भी आपके पास एक रुपया अतिरिक्त हो तो उसे विलासिता पर खर्च करने के बजाए अपने सम्पत्ति वाले कॉलम में डालें। इससे वह आपके लिए कमाना शुरू कर देगा। और जब वह बहुत कमा लेगा तब आप अपनी पसंद की वह चीज खरीद लेंगे। पुअर डैड की बात मानकर रॉबर्ट ने नौकरी की। लेकिन साथ ही साथ रिच डैड की सलाह पर सम्पत्ति के कॉलम को मजबूत बनाना जारी रखा। जल्दी ही वह चूहा दौड़ से बाहर आ गए। कितनी शानदार समझ है कि कॉरपोरेशन के मालिक कमाते हैं, खर्च करते हैं और कर चुकाते हैं, जबकि उनके लिए काम करने वाले कर्मचारी कमाते हैं, कर चुकाते हैं और फिर खर्च करते हैं। रॉबर्ट ने एक और काम की बात अपने रिच डैड से सीखी थी। अमीर लोग पैसे का आविष्कार करते हैं क्योंकि वे फाइनेंशियल जीनियस होते हैं। वे स्मार्ट बनकर सुरक्षित खेल खेलने के बजाए जोखिम भरे खेल खेलते हैं। इससे उनके सामने ज्यादा विकल्प रहते हैं। यानी कड़ी मेहनत अमीर बनने का रास्ता नहीं है, बल्कि जरूरी है तो ऐसेट को लेकर पुराने विचारों से छुटकारा पाना। फाइनैंशल आईक्यू विकसित करके ही पैसा कमाने के ज्यादातर विकल्प हासिल किए जाते हैं। यह आईक्यू अंकों को पढ़ने की योग्यता, धन से धन बनाने का विज्ञान, बाजार की मांग और पूर्ति के सिद्धांत की समझ और कानून, अकाउंटिंग, नीतियों व कॉरपोरेट के बारे में जागरूकता से मिलकर बनता है। सबक यह कि जोखिम हमेशा रहता है इसलिए अमीर बनना है तो इससे इसे मैनेज करना सीखना चाहिए। आखिर में वह कहते हैं कि हमें पैसे के लिए नहीं, सीखने के लिए काम करना चाहिए। जो हम जानते हैं, अगर उसने हमें अमीर नहीं बनाया तो हमें एक और दक्षता सीखनी चाहिए। पुअर डैड 'विशेषज्ञता' के विचार का समर्थन करते हैं।वह मानते हैं कि कम चीजों के बारे में ज्यादा जानने वाले लोग सम्मान का पात्र होते हैं। दूसरी तरफ रिच डैड कहते हैं कि हमें हर चीज के बारे में थोड़ा-थोड़ा पता होना चाहिए। नौकरी ही करनी है तो ज्यादा सैलरी वाली जॉब के बजाए ऐसी ढूंढें, जहां ज्यादा सीखने को मिले। रिच डैड, पुअर डैड सम्मोहक शैली और रोचक भाषा में लिखी ऐसी किताब है, जो किसी का भी दिल जीत सकती है। हालांकि अधिकतर मोटिवेशनल किताबों के साथ होता यह है कि वे पढ़ने में तो अच्छी लगती हैं, मगर कभी उन पर ज्यादा अमल नहीं कर पाते। लेकिन इस किताब की खूबी इसकी जटिलता नहीं, बल्कि अपनी थ्यौरी को ठीक से समझा पाने की शैली ही है। इसे पढ़कर आप कहीं अटकें नहीं, इसका लेखन ने बहुत ध्यान रखा है। इसलिए सब जान लेने के बाद उसे अमल में कैसे लाना है, यह भी किताब हमें सिखाती है। बाधाओं को पार करने के तरीके सुझाती है। रॉबर्ट कहते हैं, पैसा गंवा देने का डर, हर चीज को लेकर आशंकित रहने की सनक, आलस, बुरी आदतें और अपनी जानकारी को पर्याप्त और अंतिम मानने की जिद अमीर बनने की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है। तो शुरुआत कैसे करनी चाहिए। लेखक ने किताब में यह भी सुझाया है। रॉबर्ट यह भी समझाते हैं कि बेकार के कार्यकलाप बंद करके नए विचारों की तलाश कीजिए। इतिहास से सीखकर आगे बढ़ा जाता है। किताब का लब्बोलुआब यह है कि पैसा एक विचार है और पैसा कमाना है तो अपने विचार बदल लीजिए। इस किताब को पढ़ने के बाद पहला विचार यही आता है कि हमारे अपने जीवन में ये सिद्धांत कितने व्यावहारिक हैं और क्या हम इन पर अमल करने का जोखिम उठा सकते हैं। जोखिम इसलिए कि यह हमारे समाज और परिवेश में व्याप्त बहुत सी स्थापित मान्यताओं को ध्वस्त करती है। पहली तो यही कि पढ़ाई में बहुत अच्छे नंबर लाकर अच्छी नौकरी पाने की परंपरागत सोच को यह सिरे से खारिज कर देती है। किताब का पूरा जोर पढ़ने से ज्यादा सीखने को अहमियत देने पर है। यानी यह एजुकेशन के खिलाफ नहीं है, लेकिन उसके तरीके को पुरातनपंथी मानती है। किताब का तर्क है कि हमारी शिक्षा हमसे विकल्प चुनने का अधिकार छीन लेती है। हम वही बन पाते हैं, जो हमने पढ़ा है। पैसे के लिए काम करने के बजाए, पैसे से अपने लिए काम कराना इसका दूसरा क्रांतिकारी विचार है। यह हमें बताता है कि अमीर लोग किस तरह से ऐसेट से ऐसेट बनाने में सफल होते हैं। मध्यवर्गीय लोग किन कारणों से सारी जिंदगी कम आमदनी की शिकायतों से घिरे रहते हैं, इस पर भी पुस्तक में नए अंदाज में रोशनी डाली है। यह ऐसी दुखती रग है, जो हर किसी को कभी न कभी सताती है। ऐसे में किताब पाठक से बड़ी आसानी से जुड़ जाती है। इसी से यह बेस्ट सेलर की कतार में सबसे आगे आकर खड़ी हो जाती है। रिच डैड पुअर डैड हमें बहुत सी चीजों के लिए प्रेरित करती है। पैसे से पैसा बनाना सीखना बड़ा हुनर है जो यह किताब हमें देती है। अगर आप इस किताब का भरपूर लाभ उठाना चाहते हैं तो सबसे पहले खुद से पूछिए कि आप सीखने के लिए तैयार हैं? यदि हां, तो यह किताब बेशक आपके जीवन को पूरी तरह न बदले, लेकिन एक हद तक तो बदल ही देगी। बाकी तो इस पर निर्भर करता है कि आप सुरक्षित खेल कर सीमित लाभ उठाने में विश्वास करते हैं या थोड़ा सा जोखिम उठाकर ज्यादा लाभ कमाने की इच्छा आपके मन में है।


यह जीवन बदलने वाली किताब है जो आपके पैसे के बारे में सोचने के तरीके को बदल देगी। रिच डैड पुअर डैड रॉबर्ट कियोसाकी द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध पुस्तक है। यह पुस्तक दो अलग-अलग प्रकार के पिताओं के बीच अंतर पर प्रकाश डालती है: एक अमीर पिता और एक गरीब पिता। अमीर पिता अपने बच्चों को सिखाते हैं कि पैसा कैसे काम करता है और इसे कैसे बनाया और बचाया जाता है। गरीब पिता अपने बच्चों को स्कूल में कड़ी मेहनत करना और अच्छी नौकरी पाना सिखाते हैं।


"रिच डैड पूर डैड" एक अद्वितीय आर्थिक सिखावट किताब है जो वित्तीय शिक्षा के महत्व को सुनाती है। इस किताब में लेखक रॉबर्ट कियोसाकी द्वारा दो पिताओं के द्वारा प्रदर्शित किए जाने वाले वित्तीय दृष्टिकोणों के माध्यम से अमीरी और गरीबी के बारे में चर्चा की गई है। इस किताब का संदेश सरल और समझने में आसान है, जिससे यह एक लोकप्रिय आर्थिक पुस्तक बन गई है। इसे पढ़कर आप निवेश और वित्तीय योग्यता के महत्व को समझ सकते हैं।

वीडियो सारांश

पुस्तक की झलकियां

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20 साल... 20/20 दूरदर्शिता - आज से 20 साल पहले

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प्रस्तावना - रिच डैड पुअर डैड

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मेरे दो डैडी थे, इसलिए मेरे पास दो विरोधी दृष्टिकोणों का विकल्प था एक अमीर आदमी का और एक ग़रीब आदमी का । मेरे दो डैडी थे, एक अमीर और एक ग़रीब एक उच्च शिक्षित और बुद्धिमान थे। वे पीएच.डी. थे और उन्हों

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अध्याय 1 - सबक़ 1: अमीर लोग पैसे के लिए काम नहीं करते

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ग़रीब और मध्यवर्गीय लोग पैसे के लिए काम करते हैं। अमीर लोग पैसे से अपने लिए काम कराते हैं। "डैडी, क्या आप मुझे बता सकते हैं कि अमीर कैसे बना जाता है?" मेरे डैडी ने शाम का अख़बार नीचे रख दिया। "बेटे,

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