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" दोहावली"

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" दोहावली" विषय आज का मनचला, खेल खेल में खेलकहीं रातरानी खिली, कहीं खिली है वेल।।-१सुंदर हैं तारे सभी, गुरु प्रकाश सम आपमंच मिताई साधुता, साधुवाद बिन ताप।।-२कड़क रही है दामिनी, बादल सह इतरायपलक बंद पल में करे, देखत जिय डरि जाय।।-३क्यों रूठे हो तुम सखे, कुछ तो निकले बैनव्य

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