"चौपाई अद्भुत रस"बाल्मीकि के आश्रम आई, अनुज लखन सिय साथ निभाईमाँ सीता पर आँख उठाई, कोशल की चरचा प्रभुताई ।।-१ऋषी महामुनि अचरज पाए, लखन लला को पास बुलाएकहो भरत हिय रामहि भाए, कौशल्या के नैन थिराए।।-२कहो तात कोशल पुर कैसा, राज पाट सरयू पय जैसाकैसी प्रजा मनहुँ सुख वैसा, कैकेयी वर माँगति तैसा।।-३गति पति