7 मई 2018
"मनहरण घनाक्षरी" नमन करूँ प्रभु जी पूरण हो काज शुभ सेवक हूँ मैं आप का शिल्प तो सिखाइयेविनती है परमात्मा पुकारती मेरी आत्मा शब्द के श्रृंगार शब्द आप ही सजाइये।।छंद के विधान भाव घनाक्षरी कवित्त चाव कवि रचित रचना स्नेह फरमाइयेपाठक प्रसन्न रहें