काव्य रचना......."नाबूद हुई कालर" चूहे ने फिर से कुतर दिया टंगे हुए कुरते की कालर कहीं कतरन कहीं झालर मिला जमात को एक नया ब्यूटीपार्लर घूर रहे, घूम रहे, चिढ़ रहा कुर्ता चूहों ने जिसका बना दिया भुर्ता।। पगरखे को दबोच लिया शाम को, गली के एक कुत्ते ने उधर पड़ा है छुपा