“बाल गीत”, छंद- आल्हाचूँ-चूँ करती चिड़िया रानी, डाली पर करती चकचार कौन ले गया निरा घोंसला, छीन गया उसका संसारलटक रहें डाली पर उसके, हैं चूँजे उसकी पहचान झूल रहे थे दृश्य मनोरम, हों मानों सावनी बहार॥ रोज रोज उड़ वह जाती थी, दाना चुँगती दूर दरार बच्चों को फुसलाते जाती, मत डरन