“गीत” (बिटिया बैठी है डोली ससुराल की)बिटिया बैठी है डोली ससुराल की आए सज के बाराती खुशहाल की....... कभी बिंदियाँ हँसे कभी मेंहदी खिले कभी नयना झरे कभी सखियाँ मिलेताकी झांकी रे होली सु-गुलाल की बिटिया बैठी है डोली ससुराल की........कहीं मैया खड़ी कहीं भैया खड़े कहीं बाबू ढ़लें