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“कता-मुक्तक”

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“कता-मुक्तक”हो सके तो कर समर्पण आज अपने आप को। कर सका क्या मन प्रत्यर्पण पूछ अपने आप को। आ नहीं सकती हवाएँ बंद कमरे में कभी- खोल करके दिल का दर्पण देख अपने आप को॥ महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

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