सोमेश बोला ठीक है मैं तुम्हें जब भी पुकारूंगा तुम्हें आना होगा. दैत्य ने सहमति से अपना सिर हिलाया.
सोमेश अपने घोड़े पर बैठकर अपनी बस्ती में आ गया तब तक सोमेश की बहादुरी की खबरें पूरी बस्ती में फैल गई थी. सभी बस्ती वालों ने धूमधाम से सोमेश की अगवानी की. जकारा लैंड में अक्सर बाढ़ आती रहती थी. रानी ने अब सोमेश को अपना सेनापति व सलाहकार बना दिया था. सोमेश ने राक्षस को याद किया. याद करते ही राक्षस प्रकट हो गया. क्या हुक्म है मेरे आका राक्षस (दैत्य) बोला.
सोमेश ने कहा कि हमारे द्वीप में बाढ़ से बहुत नुकसान होता है. अतः तुम हमारे द्वीप के चारों तरफ एक मजबूत चारदीवारी बनाओ. राक्षस ने कहा ठीक है और उसने पत्थरों के बड़े - बड़े टुकड़ों से कुछ ही देर में द्वीप के चारों तरफ एक मजबूत दीवार बना दी.
अब तुम बगल वाले द्वीप को समतल कर के वहां कृषि योग्य भूमि का निर्माण करो.
दैत्य ने बगल वाले टापू को बिल्कुल समतल कर वहां भी एक सुंदर चारदीवारी बनाई और समुद्र तल से उपजाऊ मिट्टी लाकर उस टापू पर बिछा दी. इस तरह उसने वहां एक विशाल खेत का निर्माण कर दिया और सिंचाई के लिए वहां बहने वाली नदियों से नहरे निकाल दी.
अब तुम सभी द्वीप वासियों के लिए एक सुंदर नगर का निर्माण करो. सोमेश ने आदेश दिया. राक्षस ने पत्थरों से कुछ ही दिनों में वहां एक सुंदर नगर का निर्माण कर दिया.
सोमेश बहुत खुश हुआ और उसने राक्षस को फिलहाल विदा कर दिया.
अब जकारू लैंड संपन्न व सुंदर नगर में बदल गया. सोमेश ने वहां के निवासियों को कपड़ा बनाना, पहनना व आधुनिक टेक्नोलॉजी व तौर तरीके सिखाए. कुछ ही दिनों में जकारू लैंड एक विकसित नगर बन गया.
विक्रम एक लेखक है. वह उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले का निवासी है. विक्रम काफी पढ़ा - लिखा युवक है. विक्रम के पास मार्शल आर्ट की ब्लैक बेल्ट भी है.
विक्रम प्राचीन व आधुनिक हथियारों का भी विशेषज्ञ है. प्राचीन साहित्य व आधुनिक ज्ञान का विक्रम महारथी है. इस समय विक्रम अपने कमरे में बैठकर एक पुस्तक लिख रहा है. विक्रम का कमरा सुंदर व सुसज्जित है. कमरे में सारा सामान तरीके से व नफासत से रखा हुआ है.
विक्रम - मालती (विक्रम की पत्नी) एक गिलास पानी लाना.
मालती - लो जी एक गिलास पानी (प्रेम से विक्रम की तरफ देखती है.) देखूं तो आप क्या लिख रहे हो? वाह आप कितनी सुंदर पुस्तक लिख रहे हो. मेरे कितने अच्छे भाग्य हैं कि मुझे आप जैसा बुद्धिमान व ज्ञानी पति मिला है.
विक्रम - मालती तुम तो मेरी हमेशा कुछ ज्यादा ही तारीफ कर देती हो. तुम भी तो विदुषी हो तभी तो तुम एक अध्यापिका हो.
मालती - आप तो एक महान लेखक हो. आपकी पुस्तक तो एक दिन पैग्विन प्रेस से प्रकाशित होगी.
विक्रम - तुम्हारे मुंह में घी - शक्कर. ईश्वर तुम्हारी मनोकामना एक दिन जरूर पूरी करेगा.
तभी असुर सुपर्ण अपनी बटालियन के साथ दरवाजे पर आता है और वीभत्स अट्टहास करता है.