तुम क्या गए इस दिल से, दर्द को मिल गया ठिकाना ,
मारा मारा फिरता था जो कभी सहारे की तलाश में.
क्या हुआ तेरा वादा, बदला क्यों तुमने अपना इरादा ,
मंझधार में जूझ रहे हैं हम, हँसी किनारे की आस में.
हर एक कोशिश की है हमने तुमको खुश रखने की ,
ऐसे न जाते ,कमी तो बता जाते , अपने इस दास में .
क्या होती है महफ़िल ,कैसी होती है यारो ये तन्हाई ,
हमसे मत पूछो , हम नहीं रहे अपने होशो हवास में .
जन्म जन्मों तक तुम्हारा ही एहसास हमें होता रहे ,
मौजूदगी ऐसी छोड़ जाओ हमारी आखिरी साँस में .