अब कि जब उठ कर जायेगें महफिल से,
क्या कह कर जाएं तब अपने कातिल से.
जाना आसान तो न होगा, क्या तब होगा
जब आंखो से रूबरू पूछेगे, तहे दिल से.
खैर मुश्किल तो पहली हर राह होती है,
सोच रहे हैं कि दूर कैसे जाएं मंजिल से.
इधर जिंदगी, उधर जीने का मकसद है,
मंझधार में हूँ, कुछ कदम दूर साहिल से.