बुरा मत मानना हम तो यूँ ही बोलते रहते हैं ,
अपनी कही बातों को भी हम तोलते रहते हैं .
जब सैलाब हमारे लाख रोकने से भी न रुके ,
जो हल्के हो जाएँ ,राज वजनी खोलते रहते हैं .
16 मई 2016
बुरा मत मानना हम तो यूँ ही बोलते रहते हैं ,
अपनी कही बातों को भी हम तोलते रहते हैं .
जब सैलाब हमारे लाख रोकने से भी न रुके ,
जो हल्के हो जाएँ ,राज वजनी खोलते रहते हैं .