कब ,कहां ,क्यों और कैसे होता है प्यार ?
इन सभी शब्दो से अलग ,अजब है प्यार.
एक दरिया है भावनाओ का, दुआओ का,
ढूंढती आँखों सी नाव, पानी की है पतवार.
सागर से गहरा, नामुकिन जिस पर पहरा ,
आजाद बेख़ौफ़ जांबाज हवा पर है सवार .
ये कोई खेल नहीं, किसी का भी मेल नहीं,
इसका अपना समय, लाडली भी है बहार .
रुकता नहीं रोकने से, फलता है टोकने से,
बेहतरीन योद्धा,अनहोनी का है पलटवार .
ये खुद शिखर है, मंजिल इसकी जिगर है,
अलग अपनी डगर, हर कदम पर है प्यार.