जिंदगी तू अपने आपको समझती क्या है ,
आजा तुझ से जंग करनी है .
चल आज रहने दे , पहले ये सोच लूँ कि
मकान की क़िस्त कैसे भरनी है .21 जून 2016
जिंदगी तू अपने आपको समझती क्या है ,
आजा तुझ से जंग करनी है .
चल आज रहने दे , पहले ये सोच लूँ कि
मकान की क़िस्त कैसे भरनी है .आम आदमी की कसक को शब्दों मैं बयां किया है आपने .
21 जून 2016