हम से मत पूछो हमें आदत सी हो गई है ,
खामोश रहना , अब इबादत सी हो गई है .
तुम कहती रहो और हम सुनते रहे हर पल ,
एहसास जैसे तुम्हारी इनायत सी हो गई है .
हम से रहती हो जब खफा बेपरवाह बेवजह
लगता है हमारी कोई शिकायत सी हो गई है .
खताएं हमारी जो कर देती हो हंस कर माफ़ .
हमारे लिए ये हसींन रियायत सी हो गई है .
बिखेर दो अपने जलवे चारों तरफ बेहिसाब ,
बहारों की आजकल किफायत सी हो गई है .