हद हो गई है यारो मैं किसी की भी नहीं सुन रहा हूँ,
कोई कहे कि ऐसे चलो तो मैं अलग राह चुन रहा हूँ.
मुझे मुश्किलों को सुलझाने की आदत लग चुकी है,
मैं हर पल उलझे हुए धागों से आशियाना बुन रहा हूँ..
16 नवम्बर 2016
हद हो गई है यारो मैं किसी की भी नहीं सुन रहा हूँ,
कोई कहे कि ऐसे चलो तो मैं अलग राह चुन रहा हूँ.
मुझे मुश्किलों को सुलझाने की आदत लग चुकी है,
मैं हर पल उलझे हुए धागों से आशियाना बुन रहा हूँ..