रोके नहीं रूक रहे हैं, ये बिल्कुल भी नहीं सुन रहे हैं मां,
पलकों को मात दे रहे हैं,चाहकर भी नहीं छुप रहे हैं मां.
बहुत कोशिश की बहलाने की,प्यार से भी सहलाने की,
सब सीमाएँ तोड़ कर,अांखों को छोड़ कर,बह रहे हैं मां.
इनको रहने दो, हमें कुछ कहना था वो आज कहने दो,
तुम उठो, यूं ना तुम रूठो,ख़ामोशी ना सह पा रहे हैं मां.
तुम ऐसे क्यों सो रही हो,अलग सी क्यों तुम हो रही हो,
चीख चीख कर हम सारे तुमको ही तो पुकार रहे हैं मां.
गुस्सा तो नहीं होती थी,दोपहर तक कब तुम सोती थी,
चलो आशीर्वाद देकर टीका लगा दो,हम जा रहे हैं मां.
इतना सुनकर भी मौन हो तुम,बताओ ये कौन हो तुम,
कौन सा ये सबक पढ़ा रही हो, समझ ना पा रहे हैं मां.
अश्कों से भी ना पिघलती है, इतनी भी क्या जल्दी है,
भगवान तुम्हारे अपने हो गए, हम बेगाने हो रहे हैं मां.