मुझसे जीने की वजह पूछ ली है आज जिन्दंगी ने ,
आज अपनी ही कब्र क्यों खोद ली है जिन्दंगी ने
हम तो बस अपनी धुन में मस्त जीए ही जा रहे हैं ,
कोई वजह है जो वजह ही पूछ ली है जिन्दंगी ने .
ओ शायद संजीदा भी होना पड़ता है कभी कभी ,
या फिर यूँ ही मजे मजे में पूछ लिया है जिंदगी ने
मेरी खताएं माफ़ करना , मेरा भी इंसाफ करना ,
कहीं सच में बुरा तो नहीं मान लिया है जिंदगी ने ंं
मेरी ऐसी क्या खता है , हाँ दो चार तो मुझे पता है ,
शायद ज्यादा है ,फिर भी छोड़ दिया है जिंदगी ने ।