11 दिसम्बर 2015
या तो चले ही जाए या फिर ढल ही जाए ,
ए रात सूरज को कह ना अब चले भी आए .
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इंजीनियरD
तेरे लिए कुरबान हर कुछ, क्योंकि तू है मेरी सब कुछ.
तेरे बिना मेरा कोई वजूद नहीं है, दूनिया में तेरे जैसा सुरुर नहीं है. कण कण में भगवान तुझ से है ,सच कहता हूँ तुझे गरूर नहीं है .तेरा ही जलवा है यार हर तरफ, चढ़ कर उतरे ,वो फ़ितूर नहीं है.तेरा साथ जैसे पतझड़ में बहार,पाये जो वो जन्नत से दूर नहीं है. ए प्यार,तुझ से जिंदगी हसीन है, हूबहू कोई भी और हजूर
मिला था मैं उनसे दो पल , नहीं शायद थे चार पल , कुछ कह नहीं सकता , लगे थे कई सौ हज़ार पल . पल पल तू एक बार साथ तो चल , यकीन मान होने नहीं दूंगा मैं कल .
खबाव भी है तेरे, यादें भी तेरी, दिन गुजरता है यूँ रातें भी मेरी.
जिंदगी तू अपने आपको समझती क्या है ,आजा तुझ से जंग करनी है .चल आज रहने दे , पहले ये सोच लूँ कि मकान की क़िस्त कैसे भरनी है .
मत हार मान रे मन , जा गहरा , गहरा और भी गहरा , जब तक आकर सर ना चढ़ जाए ,हर जीत का सेहरा .
तुम क्या गए इस दिल से, दर्द को मिल गया ठिकान
अफ़सोस ! आज का दिन भी हमारा , यूँ ही ख़त्म हो गया , किसी का कुछ भी नहीं बिगड़ा ,हमारा वक्त क़त्ल हो गया .
फिर उठी है कसक तुम से रूबरू होना चाहती है ,बेशुमार चाहत और दिल में हूबहू कोना चाहती है .इधर उधर सब छोड़ कर ,रिश्ते नाते सब तोड़ कर ,वक्त बेवक्त की हर दौलत तुम पर खोना चाहती है .आंखें पत्थर ना हो जाए , कहीं और ना खो जाए अब ये तुम्हारे पहलू में पल दो पल रोना चाहती है .यादों ने बगावत कर दी है ,शिकायतों स
आधा तो है , मगर पूरा सा , जिंदगी से ही हूँ अधुरा सा .
तू है तो हम हैं, तू है या गम हैं मैं तू है ही नहीं, गम है या हम हैं.
गर बिखर जाऊं तो बिखरने देना, तेरी चाहत में थोड़ा निखरने देना. बहुत गुरूर छा जाता है मुझ पर, तेरी लगन में थोड़ा सा बहने देना. खुद को खुदा समझने लगता हूँ मैं, वहम हर एक दिमाग से हटने देना. कोई भूल से भी य
हद तब होती है जब हम रोकते नहीं हैं , गलत हो रहा हो और हम ट्ो्कते नहीं है .
तेरे संग यारा, हर तरफ है किनारा, मंझधार में भी यादों का है सहारा. तू जो चल दे साथ मेरे दो कदम, ये दुनिया झुका दूं तेरे लिए यारा.
कोशिश करने में कोई बुराई नहीं है , कामयाबी तो कभी भी पराई नहीं है .
मेरे उसूलों पर खरी नही उतर रही है दुनिया, एक ही विकल्प है कि बदल दूँ मैं ये दुनिया .
एक पन्ना लिखा तो दूसरा कलम की तरफ देखने लगा, मैंने कलम को रखा तो घूम कर उस तरफ देखने लगा. लिखूं तो क्या लिखूं और किस के लिए, बताओ मैं लिखूं, हर एक चेहरा एक दूसरे के चेहरे की तरफ देखने लगा. सब इधर उधर की बातों में लग गए पलक झपकते ही, वो पन्ना कहां छूट गया, अकेला मैं उस तरफ देखने लगा. सोच रहा था वो तब
तेरी चाहत के हम दीवाने हो गए हैं, दूनिया देखे तो हमें जमाने हो गए हैं.तुम ही तुम दिखती हो हमें हर तरफ ,आँखें खुली रखने के बहाने हो गए हैं , कद
आवाज करने की चाहत में, मत जाना हमारी आदत में. खामोशी है अपना ही जूनून, ढूंढ रहे हैं उसे हर इबादत में.
बहुत दुःख होता है हम को जब कोई, अपना कोई खोता है,नींद उड़ जाती है आँखो से,जब वो हमेशा के लिए सोता है. जिंदगी कहने को ही अपनी है, इससे उम्मीद नहीं रखनी है, इसकी प्यास बरकरार रखने के लिए इंसान हर बार रोता है.हरेक हरकत पर इस की नजर है, लगता हम को बेख़बर है,यूं ही नहीं कहा होगा किसी ने कि जो होना है वही
अपनों का है ठेला , अपनों की ही बात करनी है दिन तो बीत जाता है ,सही तो हमें रात करनी है
मुझ से पूछा गया यारों आज वजूद मेरा ,मैंने कहा आप ही सब कुछ हो हजूर मेरा .
गुम से है, गुमनाम नहीं है हम, बद तो हैं, बदनाम नहीं है हम.
जब भी होगा हमारा फैसला उसके दरबार में, ढूंढनी पडेगी सजा प्यार की प्यार से प्यार मे.
जुदा होते हुए अपने खुदा से मिले थे हम ,आज नहीं , सदा से ही मिलते रहे हैं हम .
कौन उलझेगा यारो, इस हसीन मौसम से, रूठ गया तो मर ही जायेंगे हम, कसम से. धूप खिलने पर भी चेहरा न खिला सकी, बूंदें गिरते ही , हो गया है प्यार, कलम से.
क्या लगता है, कैसे होगी ये नफरत खत्म, हटाना पडेगा पहले, हर मन से हर वहम. जुर्म करे वो मुजरिम नहीं, सहने वाला है, आवाज उठा दें समय पर, क्यो होगा रहम. चलो मान लिया मजबूरियां भी सफर में है, मगर वो मंजिल क्या जो यूँ ही जाये सहम. उसको पाना है तो खोने की हद न हो यारो, बस प्यार ही प्यार हो और हो सिर्फ सनम
आ गए हो या फिर छा गए , दिल को तुम बेहद भा गए .
अब कि जब उठ कर जायेगें महफिल से, क्या कह कर जाएं तब अपने कातिल से. जाना आसान तो न होगा, क्या तब होगा जब आंखो से रूबरू पूछेगे, तहे दिल से. खैर मुश्किल तो पहली हर राह होती है, सोच रहे हैं कि दूर कैसे जाएं मंजिल से. इधर जिंदगी, उधर
बीत गया तो क्या हम को भी जीत गया, हम तब भी सपने हैं, आज भी अपने हैं.
जो बीत गया, वो बीत गया, मत समझो समय बीत गया समय चलेगा साथ ही यारो, जो चले साथ वो जीत गया.
विखरा है अभी अभी इसे जोड़ कर लाता हूँ, या जो कल जोड़ा था उसे तोड कर लाता हूँ. तेरी इच्छायें पूरी होनी चाहिए चाहे कैसी हों, तू कहे तो वक्त को फिर से मोड़ कर लाता हूँ.
जिंदगी मत कर अपने अनुभव से मेरा मुकाबला, तुझे हो कया गया है, तेरे लिए होगी ये आम बात, मेरे लिए तो महोदया ,ये सब कुछ नया है.
जिंदगी तेरी बुरी लत लग चुकी है अब हमें ,जब तक आती नहीं यार मौत दवा बनकर ।
ये जो चालाकी हैं ना हमे आती नहीं है, आ जाये गलती से भी तो भाती नहीं है.
पूछूंगा मै जब मिलूंगा इक दिन खुदा से, क्या खता हो गई, रहते हो तुम जुदा से.
यादों से कह दो थोडा रूक कर आएं,और हां अदब से और झुक कर आएं.
हम से हमारी तन्हाई तक का रास्ता पूछा गया ,देख रहे हैं ,हमें कहाँ कहाँ तक यारो लूटा गया .
एक कदम फिर गलत उठा है राहे अहम में,जिंदगी अब बीत रही है सिर्फ इसी वहम में.
मुझ से कुछ दिनों से रूठी हुई है मेरी तन्हाई, महफिल की बात इसको, किसने कब बताई.
पीना सिर्फ शराब का ही नहीं होता, दिल्लगी को भी पीया जाता है. साकी मिले या न सही, जिंदगी को फिर भी जिंदादिल जीया जाता है.
प्यार एक सागर है, ये गागर में सागर भी है यारो, रोज कुआँ खोदना रोज पानी पीना नहीं है यारो. मालूम है इसे अधजल गगरी छलकत जाये यारो. बूँद बूँद करके घड़ा भरता है,ये बढ़ता जाये यारो. इसका कंगाली में आटा गीला नहीं होता है यारो, एक फूल से माला नहीं बनती, ये बनाता है यारो.लोहे से लोहा कटे,हथियार ये खुद ही तो
चाहा जब भी अपनों का साथ , उठे एक साथ कई हज़ार हाथ .अपनापन ढूंढो मत, खुद ही अपना बन जाओ, हकीकत चाहने लगे तुम भी सपना बन जाओ.
कोई हस्ती तो कोई बस्ती मिटाने में लगा है ,सच को झूठ के पीछे कहीं छिपाने में लगा है .कब समझेगा इंसान , सब देख रहा है भगवान ,वो कर्मों के फल का हिसाब बनाने में लगा है .
मत कर गुरूर इतना, तुझसे बेहतर तो मैं हूँ, ये अलग बात है, तुझसे है प्यार मुझे, तो हूँ.
हमसे हमारी यादों का हिसाब करने आए थे वो आज ,ताजुब जो अपने थे उनकी तरफ हो गए सारे हमराज .समझने की कोशिश की ,समझाने का किया आगाज ,मगर दिल के अब भी दिल में ही रह गए यारो अल्फाज .
अपने ही तो होते हैं ,आग लगाने वाले ,शिवरन्जनि है क्या ओ राग लगाने वाले .
आज बिखरा बिखरा सा हूँ तो क्या कल जुड़ जाऊंगा ,गलत राह पर हूँ गर , तेरे लिए इसी वक्त मुड जाऊंगा .जो भी तमन्ना है तेरी ,जिंदगी बन चुकी है अब मेरी ,मौत से लड़ जाऊंगा मत सोच कल मैं बिछुड़ जाऊंगा .
मुझे आज का तो पता नहीं ,कल करूंगा कोई खता नहीं .
हमें आज जलना है तपना है ,बेहतर हसीन कल के लिए ,,निखर जाएगें हम आने वाले हर एक हसीन पल के लिए .हर एक पल को निचोड़ के जाना है इस बेहतरीन जहां से ,चाह बुझती नहीं , प्यास बरकरार रखें गंगा जल के लिए ..हमें दिल की धरती में , दिमाग की राह पे चलते जाना है ,अपने लिए नहीं , जीना है हर एक उलझन के हल के लिए .कल
डर लगता है अब रात से बया करें क्या उस बात से .
जब भी उठे कदम, सही उठाना जरूरी है, गर उठ जाये गलत, तब झुकना जरूरी है.
मैंने अपनी बात की तो आप को बुरा तो न लगा, बताऊँ, सिर्फ मै ही हूँ, जो नहीं देगा,आप को दगा.
एक बात तुमसे कहनी थी, शायद जज्बातों की आदत बहनी थी, जिसने न डूबने दिया मुझे, वो तिनका नहीं है खूबसूरत टहनी थी.
बेहतर हो सकते हैं और बेहतर , मिलो ,लगने दो अब हमको पर
ओढ लिया है दुपट्टा तेरी यादों का, उतर गया जब शाॅल तेरे वादों का.
तेरी चाहत धड़कन पर सवार हो चुकी है, तू कहे हां तो चले, गर हो ना तो रूकी है.
चाहत का मुझे बेहद नशा चढ़ गया है राहत का पता गायब कौन कर गया है .
ए चांद, एक बार जमीं पर उतर कर देख तो ले, मेरे महबूब को, तुझ पर लिखी शायरी बेतुकी लगेगी तुझको, देख कर उस को.
ये दिन बीत कर, कह रहा है जाओ कुछ नया सीख कर, फिर मत पूछना, मै तो चला जाऊंगा तारीख लिख कर
भूख और प्यास सब भूल चुके हैं, छोडा था जहां, वहीं पर रूके हैं. खाई में जाने का कोई शौक नहीं, देखें कुएं कब तक रहते सूखे हैं.
मुझे तो तेरी आदत लग गई है , ये तो अच्छी इबादत् लग गई है .
मेरी हर हद खत्म हो जाती है तुझ से मिलने पर, फिर जाग जाता है वजूद तनहाई के खिलने पर.
तो किस बात का है गुस्सा और किस बात की है यारो खुशी. जो मिले कभी दुख और कहे "मुझसे मिली हुई है ये खुशी"..
आज सूरज ने पूछा मुझसे मेरा हाल, मैंने कहा गरमी से पूछो ये ही सवाल.
मुझे एक बेहतरीन जीने का बहाना मिल गया है , तेरी तस्वीर में ही ये प्यारा सा जहाँ मिल गया है . गर् तू सामने आ गई तो क्या कया होगा , क्या मुझ दीवाने से वो समां बया होगा
अभी थोड़ी देर पहले दर्द मुझ से मिलने आया था, इधर उधर की बातें करके मुद्दे पर भी वो आया था. समझाने पर नहीं समझता हमे ये तो पता चला था, फिर भी समझा कर खुशी का परचम लहराया था.
कल किसने देखा है ? जो जी गया , उसने देखा है हम भी जी गए , पहली नजर से तुमको जो देखा है .
चलते चलते दो कदम आगे आ गया हूँ तुझ से, हुई क्या खता, बहुत दूर मै आ गया हूँ तुझ से
अच्छा एक काम करते हैं , सब एक तरफ हो जाते हैं , कल की फ़िक्र छोड़ कर सिर्फ आज में ही खो जाते हैं होन्सला जब टूटने लगेगा,घोन्सला उम्मीदो का बनेगा , हक़ीक़त का रूप देकर ख्वाब कुछ हसीं संजो जाते हैं .
तेरी याद आती तो है मगर जाती नही, जुदा होकर भी इसे जुदाई भाती नही.
मुझे जीने की कसक नहीं ललक है, जो जिया अब तक, सिर्फ़ झलक है.
मेरी गहराई मेरी आँखों में है, नाप तो लो, राज साँसों में है.
किसने कहा , कब कहा तुमसे हमारे बारे में , हम तो हैं वैसे , जैसे हवा होती है गुबारे में जब उड़ जाएं तो किसी भी तरफ मुड जाएं , फर्क कोई नहीं हम में और आसमाँ के तारे में .
मुझे नहीं मतलब ,किसी भी मतलब से, मतलबी हो गई दुनिया किस मतलब से.
खुशबू तक की तो पहचान रहती है हमें ,खुदा ने अपनों की कमान जो दी है हमें .
तेरे साथ रहना मेरा दूनिया को खलता है,मुझे कया मतलब, मुझे ये सब फलता है.
देख कर तुम को तो ये लगता है , बिछडे कल आज मिले लगता है .
सब यहां अहम और वहम का खेल है,सच तो ये है कि इन से बेहतर जेल है.
मुझे अपना एक जहां बनाना है,कल बताऊंगा कि कहां आना है.अजी जीवन नाम आना जाना है, मत सोचो हमारा कोई बहाना है.आज कहीं रूके, कल चले जाना है, उस तरफ भी हमारा ही ठिकाना है़रात का होता गर असर, तो मान लेते मगर दिन क्या सिर्फ तुम्हें बिताना है.अच्छा थोड़ा सा आराम कर लेते हैं, फिर देखते हैं ये क्या ताना बाना ह
हर किसी से नहीं होता है कोई समझौता,प्यार तो जन्म से ही कहलाता इकलौता.
सपनो को कहो , रात तक यहाँ से भाग जाएं सुबह दोपहर होने वाली है अब तो जाग जाएं कडी मेहनत और इमानदारि की हसीन धुन पर कामयाबि मिलेगी कोशिश को ऐसे राग सुनाएं एक दूसरे का पीछा करना चलो अब छोड़ देते हैं मजा आ जाए कुछ वैसे अपने सब्ज बाग़ बनाएं चलते चलते कई जानकार भी मिलेगें इसी राह में मौक़ा मिलते ही उनसे उनक
हैसियत दिल की होती है पैसों की ये मोहताज नहीं.खासियत अपनों से ही है, परायों का तो ताज नहीं.
विखर जाती है या फिर शिखर तक जाती है ?जवाब ये है कि ये रोशनी जिधर तक जाती है.
हद से गुजर जाती है यारो मेरी हद,जब मालूम होताी है मुझे मेरी हद.
ऐ वकत तेरी चाल से तो कब के वाकिफ हो चुके थे हम, मगर अपनों को साथ लेकर चलने की आदत है हमारी
कब ,कहां ,क्यों और कैसे होता है प्यार ? इन सभी शब्दो से अलग ,अजब है प्यार. एक दरिया है भावनाओ का, दुआओ का,ढूंढती आँखों सी नाव, पानी की है पतवार.सागर से गहरा, नामुकिन जिस पर पहरा ,आजाद बेख़ौफ़ जांबाज हवा पर है सवार .ये कोई खेल नहीं, किसी का भी मेल नहीं, इसका अपना समय, लाडली भी है बहार .रुकता नहीं रोकन
यार रात को भी शर्मिंदगी, सुबह भी शर्मिंदा. फिर किस लिए ़कयो पीता है हर बार बंदा.
जिंदगी तेरी रफ्तार से जीत नहीं पाया है कोई, कभी भी, कुछ तू बदलाव कर, कुछ मैं करता हूँ कोशिश अभी भी.आँखों में यूं ही रहती नमी है, किस ने कहा तेरी कमी है ,तेरे लिए जान हाजिर है, आजमा लेना आकर कभी भी. तेरे तजुर्बे मुझे झुकने नही देते, बीच राह रुकने नहीं देते, तेरा साथ है तो मंजिल से तो रूबरू हो जाएंगे
देख लिया और परख भी लिया ,सबको अपनी तरफ कर भी लिया , बदले में जिन्ददिलि बाँट दी सबको और सबका डर मिटा भी दिया . मुझको सब का साथ चाहिए , हम वाली बात चाहिए , दिन गुजरे बेहतरीन और अपनों वाली ही रात चाहिए .
अलग अलग है अनुभव हम सबकी ज़िन्दगी का, बीता हुआ पल सबक है आने वाली ज़िन्दगी का. हर झपकती हुई पलक,अपनी अपनी ही झलक,असर भी नहीं एक, एहसास से भरी ज़िन्दगी का.नहीं मिलते हैं इरादे, एक दूसरे से किए हुए वादे, जज्बातों से खेलना,अजीज खेल है ज़िन्दगी का.अपने अपने अंदाज़ हैं,खुद पर ही करते नाज है,अकेले ही खोलत
दुनिया जलती रहती है, हमको कहती रहती है.
मुसाफिरों की इस नगरी में जिंदगी के मेले हैं, आते हैं सब अलग अलग जाते भी अकेले हैं.सबका मदारी एक है,इशारों पर वो नचाता है,जिसने कहा न माना, उल्टे सीधे दाव खेले हैं.मंजिल सबकी वो है,राह सब अपनी चुनते हैं,कोई खुश यहाँ पर,किसी को लगते झमेले हैं.नजरिया हमारा हमें हमारी दशा समझाता है,दिल से नही करते जो का
जिंदगी मिली थी अभी , जैसे हम मिले थे कभी .
हम से मत पूछो हमें आदत सी हो गई है ,खामोश रहना , अब इबादत सी हो गई है .तुम कहती रहो और हम सुनते रहे हर पल ,एहसास जैसे तुम्हारी इनायत सी हो गई है .हम से रहती हो जब खफा बेपरवाह बेवजह लगता है हमारी कोई शिकायत सी हो गई है .खताएं हमारी जो कर देती हो हंस कर माफ़ .हमारे लिए ये हसींन रियायत सी हो गई है .बिख
बरसात नहीं, चारों तरफ़ सूर्य की रचनात्मक रोशनी है. अभी कैसे नहाएं, अभी दो चार वारदातें और कोसनी है.
एक कहानी तो मुझसे से भी जुदा है, कोई और नहीं है यारो वो तो खुदा है.
हो सकता है कि मैं तुझसे दूर हो जाऊंरूक थोड़ा ,मैं पहले मजबूर हो जाऊं
मेरी सभी आदतों से वाकिफ है मेरी एक आदत ,भटक भी जाऊ , रास्ता दिखा देती है वो आदत .न सोचता हूँ न ही कुछ समझने की कोशिश की ,माँ ने सच के साथ चलने की सिखाई थी आदत .चल रहा हूँ चलता रहूंगा ,गलत कभी न करूंगा ,मुझे जान से भी ज्यादा प्यारी है सिर्फ ये आदत .सीख कभी न छोडूंगा ,कोई वादा भी न तोडूंगा ,माँ कही हर
बात शायरी की नहीं है यारो, बेहतरीन की है, हमारा कुछ भी नहीं है, सारी बातें उसी की हैं
बुरा मत मानना हम तो यूँ ही बोलते रहते हैं ,अपनी कही बातों को भी हम तोलते रहते हैं .जब सैलाब हमारे लाख रोकने से भी न रुके ,जो हल्के हो जाएँ ,राज वजनी खोलते रहते हैं .
तेरी चाहत में जी रहे हैं तो क्या सचमुच गुनाह हो गया , एक बात बता ,ऐसा क्या हुआ जो तुझसे प्यार हो गया .
वो आए जिंदगी में यूँ घटाओं की तरह, मन चहक गया था फिजाओं की तरह. होंठ पुकारते ही रहे, कोयल की तरह दिल भी बहक गया हवाओं की तरहफिर तमाम उम्र, इंतजार करते करते, आंखे बरसती ही रही बारिश की तरहगम नहीं खुशी के आंसू है ये तो यारो, वो महक रही है कहीं तुलसी की तरह.
मैं तनहा था यारो तो क्या हुआ, ये बताओ, तन्हाई का क्या हुआ.
तेरी हर एक अदा पर मेरा सब कुछ कुर्बान है ,तू रोये तो सब मुश्किल ,तेरी हंसी से आसान है ,पल पल तुझ को तरसता न कुछ और समझता ,तुझसे दिन है महकता और रात भी मेहरबान है तू ही तू मुझे सूझता ,किसी का पता नहीं पूछता ,तन और मन मेरे , गाते सिर्फ तेरा ही गुणगान है दिल तेरे लिए है धड़कता कहीं भी नहीं ये अड़ता ,सिर
या तो चले ही जाए या फिर ढल ही जाए , ए रात सूरज को कह ना अब चले भी आए .
दिल की हसरतें थमने का नाम नहीं लेती , दिमाग की नसें हरकत में आने का नाम नहीं लेती .जब भी आती है मुझे याद तेरी तन्हाई में ,साँसें रुक सी जाती हैं ,ये चलने का नाम नहीं लेती .समझा बुझा कर इनको काम पे लगाता हूँ तो आँखें ,किसी और को देखने का नाम नहीं लेती कोशिश करता हूँ बहलाने की, फुसलाने की , मगर जुबान
मत लो मुझसे मेरी जिंदगी का हिसाब, तू कहे तो, सच में, पूरे हो चुके हैं हम.
मुझको मुझसे अलग कर दो, दीवानी, मेरी रग रग कर दो
होता है मगर जब इंसान सोता है , जाग्कर् कोई कभी कुछ खोता है .
सुना है कि जो कहते हम अकेले हैं, उनके घर पर लगते यादों के मेले हैं मेरी हसरतों को चार चांद लग जाते हैं, जब तेरी यादों के मुझे पर लग जाते हैं.
न जखम का न किसी दर्द का एहसास हो रहा है हमें ,ये कहीं प्यार व्यार बेवक्त तो नहीं हो गया है अब हमें .
हद हो गई है यारो मैं किसी की भी नहीं सुन रहा हूँ, कोई कहे कि ऐसे चलो तो मैं अलग राह चुन रहा हूँ. मुझे मुश्किलों को सुलझाने की आदत लग चुकी है, मैं हर पल उलझे हुए धागों से आशियाना बुन रहा हूँ..
कभी पाया कभी खोया , पाप अपना तभी धोया .
एक बात किसी ने भी नहीं की आज तक बयां यारो, दिन कहलाता बचपन, रात कब हो गई है जबां यारो.
माँ गर सम्राट अशोक जैसी मिले, खोज खत्म, मत पूछो कैसी मिले. गुरु गर सबका महान चाणक्य जैसा हो, तो शिष्य अशोक नहीं तो फिर कैसा हो. माँ और गुरु गर असाधारण मिल जाये, जगह जगह संजीवनी बूटी खिल जाये.
आहिस्ता आहिस्ता तेरी दीवानगी चढ़ चुकी है दिल और दिमाग में, कोई है दीवाना जो न जले और तैर जाए पानी से लगी हुई आग में.
जल्दी क्या है , चले जाना अभी चले जाना , धड़कन जब भी रुक जाए ,तभी चले जाना .
सच कहना तो चाहता हूँ पर कहा नहीं जाता, कह दूँ तो मगर किसी से भी सहा नहीं जाता. बहुत सी बातें समझ नहीं आती परख कर भी, यार सोचे और समझे बिना तो रहा नहीं जाता.कभी कभी राह भटक जाते हैं दीवाने "राजा" रानी नहीं मिली या तुझसे ही कहा नहीं जाता. बिखेर दो अपने जज्बात सागर की तरह अब, या कह दो कि लहरों की तरह
न कोई आहट न कोई औपचारिकता, क्या प्यार को नहीं मालूम परिपक्वता.
थोड़े से दीवाने तो हम भी हैं , क्ई्यो से मगर हम कम भी हैं .
रात तू मत आ, आ गई है तो औकात मत दिखा, दिन भर रूबरू थे, अब अलग जज्बात मत दिखा.
यारो चलो हो ही जाए एक दौर और, हम तो कहते रहते हैं, मत करो गौर.
कतरा कतरा मेरी चाहत बिखर रही है, रोकने पर और ज्यादा ये निखर रही है. परख तो लो गहराई अदब से झुक कर, इसकी पनपते ही मंजिल शिखर रही है.
बिना मिले दिल खिले ,जब जब ये हवा हिले .
कुछ जख्म ऐसे भी कि मय कुछ नहीं कर पाती, गहराई गर नाप लेती तो यकीनन वो चढ़ जाती.
चलो अब तो दो चार कर लेते हैं ,इससे अच्छा है , प्यार कर लेते हैं .
एक दफा और लग सकती है अपने कानून में, गलती ढूंढ कर दिखा दी गर किसी ने खून में.
कोई कभी कुछ भी नहीं सुनेगा मुझे मालूम् है , हर कोई यही कहेगा मुझे तो पहले से मालूम है .
हर तरफ़ भोले भोले, हर जगह भोले भोले, भोले भाले भोले भोले, जय हो भोले भोले. लीला अपरम्पार है, मुक्ति का तू प्रभु द्वार है, हे त्रिनेत्र! भक्तों से तू करता असीम प्यार है. कुछ न सोच समझ बंदे संग प्रभु होले होले जय हो भोले भोले मन में तू समाया है, दिलोदिमाग पर छाया है, लीन हैँ भक्ति में प्रभु, अजब ही ते
ये जो रात है ना बडी गहरी होती है, मगर बहरी होती है, नहीं सुनती किसी की, गंवार नहीं, ये तो शहरी होती है.
किसे रखना है दूर, किस के रहना है पास, सोच समझ तो है, आडे आ जाती है आस.
हो सकता है आज क्यामत् आ जाए , उ्स् को कहो इसी रास्ते से आ जाए .
गैरों से आज बात हुई अपनों की, कहने लगे, बात न हो सपनों की.
मुद्दा अपना नहीं हमें तो अपनों की ही फिक्र है. उनके सामने हम कुछ नहीं, सिर्फ एक सिफर है.
तेरी छवि से बेहतर कोई नजारा नहीं है, तेरी यादों सा यारा, कोई सहारा नहीं है.
क्यों ना आज हम गुम हो जाए , अजनबी नहीं हम तुम खो जाए .
आया था तुझ से ही मिलने बेतहाशा खिलने, लेकिन इजाजत न दी कुछ सोच कर दिल ने. दिल ने सोचना शुरू कर दिया है तेरे प्यार में, ए मन देख तो धड़कन आई है तुझ में मिलने.
मुझे वो नहीं आता जो उस को ही आता है अजी दिन को रात बनाना किसको आता है .
बहुत जल्द आ रहा हूँ तेरी पनाह में ए जिंदगी, अच्छा ये तो बता आना कहां पर है ए जिंदगी.
बीत कर याद आया मुझे कि यूँ ही बीतना नहीं है , तुझे हार गया तो फिर मुझे कुछ भी जीतना नहीं है .
मिलते मिलते कयो न मिल जाएं हम ऐसे, कि मंथन हो, इन को जुदा करें अब कैसे.
मुझसे जीने की वजह पूछ ली है आज जिन्दंगी ने ,आज अपनी ही कब्र क्यों खोद ली है जिन्दंगी ने हम तो बस अपनी धुन में मस्त जीए ही जा रहे हैं ,कोई वजह है जो वजह ही पूछ ली है जिन्दंगी ने . ओ शायद संजीदा भी होना पड़ता है कभी कभी ,या फिर यूँ ही मजे मजे में पूछ लिया है जिंदगी ने मेरी खताएं माफ़ करना , मेरा भी इंस
मन मेरे तू किसके ख्यालों में खोया हुआ है, खुश है बहुत ,शायद बेहद तू रोया हुआ है.
कैसे बता दूँ सब को अपने दिल के कुछ राज, षे बाहर निकल कर चारों ओर करते आवाज. विखर गये तो संभालना बहुत ही मुश्किल है, कल का पता नहीं मगर महफूज तो हैं आज
तू है तो जान में जान है, तीर हूँ तेरा तू कमान है. चीर के रख दूं हर दिल, मगर तू ही मेरी शान है.
याद से मुझे याद आया कि याद मुझे कुछ भी रहता नहीं ,यादों का पिटारा हो गया है नाराज , मेरे साथ रहता नहीं .
कुछ यादो को मिटाना चाहता हूँ, जो भूल कर भी याद न आए, भूल तो सकता हूँ गर कया भूला हूँ अब तक, ये याद आ जाए.
गलती तब तक गलती नहीं होती , जब तक मानी नहीं जाती ,गलती तब तक सही नहीं होती , जब तक वो जानी नहीं जाती .
किसको कहां जाना है पहले सोच ले, या सोच समझ कर पहले ही रोक ले.
जब भी पी कर आता हूँ, सोचता हूँ कि जैसे आज लूट कर आया हूँ. सुबह लगता है ऐसा कि जैसे अभी अभी जेल से छूट कर आया हूँ..
जरा ठहरो तो दम का हाल थोड़ा नाजुक है बहुत बेरहम यारो , वक्त का होता चाबुक है
आदतें हमारी बन जाएँ हालात , ये हमारे हाथ में है , कल गलत थी पास , कोशिश आज सही साथ में है .
रात भर जागते रहे तेरे ख्वाब के इंतज़ार में, सुबह याद आया कि सोना था तेरे दीदार में.
एक बात आज आप को ही बतानी है , शर्मिंदा हैं ,मगर ये तुमसे भी पुरानी है .
जब जब चाहा तुझको प्रभु तब तब पाया है , कितनी अनोखी और बेहतरीन तेरी माया है . जो हैं भक्ति में , विश्वास है शिव व् शक्ति में , कैसे भूलें प्रभु कण कण में तू ही समाया है . चारों और जब होने लगे पाप और अत्याचार् , समय आने पर सब मिटाने प्रभु तू आया है . तेरा ही जलवा ,हटा जब अज्ञान का मलवा ,खोया जिसने खु
दफा लग तो सकती हैं न जाने कितनी हम पर ,गर मान जाए दिल कि यार ये वफा तो कम कर .
ये जो उलझन है, ये कहाँ से किधर से आती है, हम वनेगें दीवार वहां जहां से जिधर से आती है.
मुझे नहीं मालूम कया है मेरी हस्ती मगर यदा कदा नहीं डूबती है कश्ती तू है करीब तो कोई गम नहीं है मुझे, तेरे बिन भाती नहीं है कोई भी बस्ती .
ईशवर तेरी लीला तो अपरम पार है , जो हारता वो करता तुझ पर वार है . जो जीत जाए तेरी असीम कृपा से , उस पर तो हर पल अहम सवार है . गलती करता रहता इंसान उम्र भर , फिर भी सजा में प्राणी का उध्दार है . हे प्रभु तेरी लीला सिर्फ तू ही जाने , हम तो ये माने तेरा बहुत उपकार है . अच्छा - बुरा तेरी नजर में सब एक
जख्म से कह दो हर पल तैयार ही रहना,हंस दूं गर रो कर भी मैं , तो दूर ही रहना.
एक बात तो तुमसे कहना ही भूल गया , क्या कहना था ये भी तो अब भूल गया . तुम् को देखते ही हम सब भूल जाते हैं माफ़ करना ये बताना पहले भूल गया .
बेहतरीन यादों की दासतान सुनाना चाहता हूं,किरदार भी और माहौल भी पुराना चाहता हूं.ए वकत ! आंखें बंद कर ले या जरा थम ले,मैं बीते हुए पलों को फिर दोहराना चाहता हूं.
जिन्दगी आज मुझे तुझसे बात नहीं करनी, तेरी मेरी कुट्टी नहीं करनी बस नहीं करनी. अच्छा रूक जरा, नाराज तो नहीं हो गयी, मैंने ये कहा कभी भी मुझे बस नहीं करनी?
मुझे आता ही नहीं है पयार जताना,अपनों को अपनापन कयों दिखाना.
याद उस की आती है जो भूल जाता है, वक्त के साथ साथ सब धूल जाता है.
मैं जब मैं से दूर हो जाऊंगा,सच कहूं, मैं नूर हो जाऊंगा.
बीते हुए पल ,चल ,एक छल करते हैं, आज मिलते हैं हम याद कल करते हैं.चेहरे खिल जायेगें, बिछड़े मिल जायेंगे. मिल कर, इतिहास में हलचल करते हैं. जो भी हार गया था जिंदगी के खेल में, लगातार कोशिशों को सफल करते हैं. कुछ रिश्तों में पड गई थी थोड़ी दरारें, भरने में जानकारी की नकल
अपनाी जो ये जिंदगी है वो अपनों की अमानत है,ना मिले गर हकीकत में तो सपनों की जमानत है.
मुश्किल नहीं ,नामुकिन हैं तुम से ऑंखें मिलाना ,कितनी अब बची हुई हैं हमारी जरा सांसें बताना .
गहनों सी हो गई है जिंदगी,त्यौहार के आते ही खिलेगी.
मुझे लिखने के लिए रोज एक बेजोड़ प्रसंग चाहिए, या फिर दिल की दिल के साथ हसीन जंग चाहिए .शहरों की चकाचौंध के दीवाने तो मिल जाएगें कई , किसी गांव की हसीं बलखाति हुई गली तंग चाहिए इंद्रधनुष भी रंगीन है , मौसम कर देता नमकीन हैं , कुछ भी छूट ना जाये , गिरगिट के सारे रंग चाहिए . उदासी मायुसी को लताड कर,सब
सूकून मिलता है अपनों के बीच आकर,कसम से , दिल पे लगता है तीर आकर.
न कर मुझसे इस, रात का मेल, मुझसे खेलना नहीं है कोई खेल.
बेफिक्र,एक महोदया की कहानी, जिंदगी तो हर हा
होता नहीं है मुझसे कि हम से मैं हो जाऊं , अपनों की दुनिया से परायो में मैं खो जाऊं .
कुछ भी नहीं बदला है कल में और आज में ,कसक मौजूद है अब भी ,अपनी आवाज में .कुछ लम्हे यादों में क़ैद हैं लेकिन ये मुस्तैद हैं ,कुछ एक को हो गया है यकीन गहरे राज में अपनापन
मुझसे मेरी तन्हाईओं का राज पूछो , कल नहीं रहेंगी ये यारो ,आज पूछो .
वक्त से आज अभी मुलाकात हुई मेरी, कहने लगा, देरी से बहुत खफा हूँ तेरी.जो जब करना था तब तूने नहीं किया,सुधर जा,गलतियां हो चुकी है बहुतेरी.जाग जा आलस को कह कि भाग जा,मेहनत से किस्मत चमक जाएगी तेरी.रुकना नहीं अब झुकना भी नहीं कहीं ,तभी तो होगी मंजिल से पहचान तेरी. कुछ नय
ऐ दिल गुस्ताखी मत कर, बेकार की यार जिद मत कर, बदनामी का फैल जाएगा जहर, ऐसी तो प्रीत मत कर. तेरा प्यार गर सचा है तो तुझे मिलेगा जरूर यकीन कर, तेरी तसल्ली के लिए मैं मन तुझे देता हूँ सब लिख कर.
हालत तो देख जाते एक बार आ कर, घायल से लौटे हैं ,तेरे शहर में जा कर. इक झलक का एहसान कर जाते गर ,मरहम सी बन जाती दिल में समा कर. मन की परेशानी का कोई तो हल कर, बिखरे हैं जज्बात ,रखे कहाँ छुपा कर. महफिल का न हो कोई असर हम पर, मिलते हैं यूं तन्हाई से खिलखिला कर. करेंगे दुआ जब भी गिरे तारा टूट कर ,महफूज
ए खुदा तुझे तन्हाई पर रती भर भी दया नहीं आई ,हम थे तन्हा ,दो और मिले ,देखो तन्हा हो गई तन्हाई .
ध्यान से सुनिए ,एक और किस्सा सुनाने वाले हैं हम,इसमें भटक रहा था इक राही,कुछ ढूंढता था हरदम.प्यार की पूजा करता था, प्यार में ही गया था वो रम ,अपनों की ख़ुशी में खुश रहता छुपा कर अपने गम.हाँ एक बात और ढूंढने वाले को किस बात का गम,बेफिक्
हिचकियाँ आ रही हैं मुझको आज शाम से , कहीं तुमने व्रत तो नहीं रखा है मेरे नाम से .
थक चुकी हैं आंखें, तेरे इंतज़ार में जगा कर रखी है, इजाज़त नहीं झपकने की एकटक लगा कर रखी है. न जाने कब तेरे कदमों की आहट से हम चौक जाएं, वैसे तो हर राह भी बेवजह बेख़ौफ बना कर रखी है.एक बार आ कर तो देख किस कदर हम डूबे हुए हैं,अदभुत यकीन की कश्ती फिर भी सजा कर रखी है.माना एक हम ही नहीं जो तेरी पनाह को
महफ़िल में मत पूछो हमसे तन्हाई की बातें , सब बयां कर देती हैं , तुम्हारी ये प्यारी बातें . हम लाख यहाँ मुस्कुराते रहें ,खिल्खिलाते रहें ऑंखें छलक् कर भिगो देती हैं ये सारी बातें .
हमारी हसीं मुलाकातों का हिसाब जरूरी है, और एक दुनिया के वास्ते किताब जरूरी है. पल जो भी तुम्हारी यादों को रखे हैं संजोये,इज्जत से यारो कह देना, जनाब जरूरी है.पल जो भी रहे हैं संजीदा,अश्क़ों पर फिदा,बेहतरीन सा एक खुशी का नकाब जरूरी है.नहीं है कोई भी शिकायत जुदाई के पलों से,इतना सा कह दो कि अब बदलाव ज
आओ मेरे यारो आओ, कोई तो हमको जगाओ , हम बना दो जहां , मैं को जल्दी से तुम भगाओ . हम से है ये जहां , हुमारा ये जमाना है , आ जाए जिसको हमारे बाद आना है . तेरी तू जाने मैं तो हम से ताल्लुक् रखता हूँ , स्वाद चाहे जितना आए , मैं कम चखता हूँ . सुख ही नहीं , दुःख से भी मेरा ही नाता है , हम से दूर सब , सिर
रोके नहीं रूक रहे हैं, ये बिल्कुल भी नहीं सुन रहे हैं मां, पलकों को मात दे रहे हैं,चाहकर भी नहीं छुप रहे हैं मां.बहुत कोशिश की बहलाने की,प्यार से भी सहलाने की,सब सीमाएँ तोड़ कर,अांखों को छोड़ कर,बह रहे हैं मां.इनको रहने दो, हमें कुछ कहना था वो आज कहने दो, तुम उठो, यूं ना तुम रूठो,ख़ामोशी ना सह पा रह
वक्त जीत ही गया मुझसे आज भी, दफना गया अनसुलझे क़ई राज भी.
दिल करता रहता है बेफिकर् होकर दिल से प्यार, और उसकी सहेली धड़कन के हम सब गिरफ्तार. आजाद जो डर से हो जाता है उसके जीत है करीब , लेकिन गिरफ्तार होकर कर नहीं पाते हैं हम इजहार् दिल तेरी आज जान लेनी है , धड़कन को ये सौगात देनी है . दिल और धड़कन की दोस्ती एक मिसाल है ,इनके सामने असफल दुश्मनो की हर चाल है
क्यामत को भी होगा इंतजार उस महकती हुई रात का , जो हम कह न पाये तुम से उस चहकती हुई बात का . कुछ तो तुम भी करो फैसला हमारे हसीं जज्बात का, चली आओ या फिर दीवाना बना दो हर हालात का .
हो सकता है, आज रात की मुझसे ना बने, फिर भी न माने, तो आ जाए आमने सामने.
जाने भी दो अब, मुझ से हो गया, जब जागना था मुझे, तब सो गया.
सोचा कई बार हमने की लिखने बैठ जाए ,फिर सोचा क्यों न पहले सिखने बैठ जाए . एक से एक दिग्गज बैठे हैं हम तो एक कतरा हैं , हाँ गर जिद पे आ जाए , फिर तो हम खतरा हैं .
तेरे दीदार को पीना बुरा है तो बुरा ही सही, बैठे हैं आज भी प्यासे हम, सच बताएं, वहीं.
तो भी समझ आ गया , वो भी समझ आ गया , खुदा तू है हमारा , आज ये भी समझ आ गया .
एक बात बताऊँ क्यो ये गुरूर छा जाता है हमेशा हम पर, यकीनन इसीलिए क्योंकि हो नहीं पाते हावी हम गम पर.