कुछ भी नहीं बदला है कल में और आज में ,
कसक मौजूद है अब भी ,अपनी आवाज में .
कुछ लम्हे यादों में क़ैद हैं लेकिन ये मुस्तैद हैं ,
कुछ एक को हो गया है यकीन गहरे राज में
अपनापन अब भी ज़िंदा है ,हम पर फ़िदा है,
डूब नहीं सकते हम अजनबियों के आगाज में
गर चाहे तो ये दुनिया बदल दें अगर दखल दें ,
बस गलत करने की हिम्मत नहीं है जाबांज में