सुबह खामोशी से मिला, बलवान पर ये मासूम होती है,
समझ में आती जब भी इसकी आवाज़ मालूम होती है.
अदभुत शांति एहसास में, पर लगन जरूरी आभास में,
हम उलझ जाएं जब सिर्फ ये है जो सुलझी हुई होती है.
रहती बिल्कुल ही स्पष्ट, हर बार कहलाती है ये निष्पक्ष,
किसी से लेना देना नही है, हमेशा अपनी तरफ होती है.
शालीनता की ये है मिसाल,इसका हर अंदाज़ है कमाल,
सशक्त हो जाए वो जिस की रगों में ये बह रही होती है.
घमंड को नं लगने देती हवा, क्रोध की है ये अचूक दवा,
शोर तो सब शरीर का है मित्रों,आत्मा तो अमर होती है.