रात के 8 बजे थे. टीवी पर मोदी जी का राष्ट्र के नाम संबोधन चल रहा था. बात हो रही थी, 500और 1000 के पुराने नोटों का चलन बंद होने की,उसके बाद विभिन्न चैनलों पर मोदी जी की खूब तारीफ़ की जा रही थी. लोग इसे काले धन और भ्रष्टाचार के लिए सर्जिकल स्ट्राइक का नाम दे रहे थे.
दूसरे दिन टीवी पर किसी को खाने को भोजन और किसी को बच्चों पिलाने को दूध ना मिलने की खबरें चल रही थी.सुबह टीवी पर हो हल्ला देखकर मेरी माताजी खुद ही मार्केट का हाल देखने निकल पड़े जब मार्केट से आए तो हमेशा की तरह दो बैग भरकर सब्जियाँ फल और रोजाना प्रयोग होने वाला सामान ले कर आए.
मैंने पूछा कि इतने पैसे कहाँ से आ गए ?माता जी ने मुझे देखा और मुस्करा कर कहा "एक तो टीवी वाले सिर्फ बुराई दिखाते हैं और दूसरा यह कि तुम्हारी पीढ़ी के लोगों को समाज में जीना नहीं आता"माताजी ने आगे बताया कि यह सही है कि कोई भी दुकान वाला 500-1000 का नोट नहीं ले रहा है लेकिन इतने वर्षों के संबंध और आपसी विश्वास में किसी भी दुकानदार ने उन्हें सामान के लिए मना नहीं किया..
ये जो लोग हल्ला मचा रहे हैं कि 500 का नोट रखकर हम बच्चे के लिए दूध भी नहीं खरीद पा रहे हैं ये वास्तव में वही लोग हैं जिन्होंने जीवन में पैसे तो कमाए लेकिन ना इंसान कमाए ना विश्वास..
तब कहा गया है पैसा ही सब कुछ नही होता है. आपका व्यवहार और इन्सान का आपके प्रति विश्वास हमेशा काम आता है.