दो वर्ष के भीतर ही तीन वीरों ने जन्म लिया...
भगतसिंह , सुखदेव और राजगुरु इन्हें नाम दिया ,
बचपन से ही इन्होंने ठानी , आजादी है देश मे लानी...
आठ वर्ष की उम्र में , भगतसिंह में भर गई थी चिंगारी...
जब देखी जलियांवाला बाग में रुदन किलकारी...
लाला जी की मौत का लेना था प्रतिशोध...
कर दी सांडर्स की हत्या , बिना किसी गतिरोध...
केवल क्रांति लाने के लिये , नही किया माफीनामे पर हस्ताक्षर...
दे दी प्राणों की आहुति , हँसते हँसते फांसी पर चढ़ कर...
दूसरे क्रांतिकारी को गले लगाकर ही , जिन्होंने अपने प्राण त्याग दिये...
भड़क गई थी जनता में चिंगारी , जिसके उन्होंने जतन किये...
फिरंगियों ने लाशों के टुकड़े , मिट्टी तेल में जला दिये...
हुई आहट , जब इनके दीवानों के आने की...
बहाए ले जा रही थी लाशों के टुकड़े , उफनती सतलुज नदी...
भाग खड़े हुए फिरंगी...उन्हें अपनी जान बचानी थी ,
चुन चुन कर टुकड़े जनता ने , संस्कार विधिवत सम्पन्न किया...
भारत माता के दीवानों ने , अपना कर्तव्य पूर्ण किया...
सम्मान करें स्वदेश का...कद्र करें आजादी की , अनगिनत वीरों ने इसकी खातिर अपने प्राणों की आहुति दी !!
© नेहाभारद्वाज