सो गया चिरनिंद्रा में एक कवि...
रह गयी धरती पर अमिट छवि ,
घुल गयी हवाओं में एक रूह...
हो रही है चारो और एक आह ,
दे रहे श्रद्धांजलि जन मानस सभी...
रो रहे धरती गगन है मौन भी ,
आने वाली पीढियां भी यश गायेंगी...
ऐसा महान नेता दोबारा कहीं न पायेंगी ,
हो जिसमें एक महान नेता के सभी गुण...
हो सवार सिर पर बस देश हित की धुन ,
मंगल कामना करें जिसके विरोधी भी...
क्या कहीं जन्म लेगी ऐसी पुण्यात्मा धरती पर कभी ।।
©नेहाभारद्वाज