16 नवम्बर 2017
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poet, writerD
हाथो में उसके घोड़े की लगाम थी,उसे सब मंतर पता थाआदमी और घोड़े में अंतर पता था जितने मारे कोड़े उतना तेज दौड़े घोड़ा बेचारा लाचार बेवस सब सहता चला गया होता मालिक भगवान कहता चला गया।