गीतिका चौपाई हास्य रसराधा मधुबन तेरा आना रोज रोज का नया बहानाबोल सखी कैसा याराना बैरी मुरली राग बजाना।।बस कर अब नहि ढ़ोल बजाना मोहन गोकुल गाँव पुरानाबहती यमुना चित हरषाना यशुदा नंदन ग्वाल सयाना।।सुंदर है तू ऊंचा घराना काहें न लाज शरम जी जानासुध बुध खोकर ई गति पाना लौ