"झिनकू के चचा और दुर्गापूजा" जी हाँ सर, मुझे आज भी याद है 1978 की वह शाम जब मैंने माँ दुर्गा जी का दर्शन कलकत्ता के आलीशान पंडाल में किया था और आप मेरे बगल में खड़े थे। मुझे बंगाली नहीं आती थी और मैं मन में कुछ प्रश्न भाव लिए हुए किसी हिंदीभाषी को तलाश कर रहा था कि इतने म