आत्महत्या यानि खुद की हत्या जिसे अंजाम देते हुए कोई भी हिंसक नहीं होता !बड़ी सन्नाटे सी होती है यह हत्या हुम् हुम् सी आवाज़ पंखे को देखती है देखती है अपनी नसों को या माचिस की तीली को … दिमाग -शायद संभवतः नहीं सोच पाता कि हत्या के बाद क्या होगा !यह स्थिति ना ही निर्वाण है ना ही आवेश निरीह भी बिल्कुल नह