5 दिसम्बर 2020
माँ! तुम्हारी बस इतनी सी कहानी।दर्द-दुख-सुख-बच्चे औ, कुर्बानी।जन्म देकर जननी जब तुम बन गई।मानो खुद की खुद से ही ठन गई।अपने सपने और शौक हुए पुराने।बच्चों के सुख-दुख निज तुमने माने।नौ माह कोख और जनन की पीड़ा।तुम सह गए समझ प्रिय-बाल-क्रीड़ा।