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पलस्वार्थ

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वो कुछ पल जो थे बस मेरे...... युँ ही उलझ पड़े मुझसे कल सवेरे-सवेरे, वर्षों ये चुप थे या अंतर्मुखी थे? संग मेरे खुश थे या मुझ से ही दुखी थे? सदा मेरे ही होकर क्युँ मुझ से लड़े थे? सवालों में थे ये अब मुझको ही घेरे! वो कुछ पल जो थे बस मेरे...... सालों तलक शायद था अनभिज्ञ मैं इनसे, वो पल मुझ संग यूँ जिय

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