वह लड़की साँवली सी बला की खूबसूरत शिवानी की कृष्णकली सी … उसकी हँसी से बचपन की कहानियों जैसे फूल झड़ते आँखों से मोती बरसते 'देवा ओ देवा' .... कहकर वह खाली कमरों में दौड़ लगाया करती थी !हाँ, कमरे की अदृश्य प्रतिध्वनियों से उसकी दोस्ती थी जिन्हें कोई आकार देने से डरती थी छवि मिटने का बेहद डर था उसे नाम