मैंने तुमसे कहा -आकाश पाने के ख्वाब देखो सूरज तो मिल ही जायेगा ...'जब कभी किरणें विभक्त हुईंमैंने उनको हथेली में भरकर सूरज बना दिया ... मिलने की अपनी सार्थकता होती है पर क्या नहीं मिला क्यूँ नहीं मिला के हिसाब का फार्मूला बहुत जटिल होता है तुम उसे सुलझाने में न उसे सुलझा सकते हो न पाने की ख़ुशी जी स