मिसेज शर्मा अपने बाग से लाई हुई पान की पत्तियों में लौंग डाल कर मुख में रखने ही जा रहीं थीं कि रजनी ने कमरे में प्रवेश किया ।मम्मी इससे क्या फायदा होता
मेरा मन आज काफी प्रसन्न था, इसके लिए आईना देखने की कतई आवश्यकता नही थी। वापसी में एक रेस्तरां में चाय का आर्डर देने का मेरा अंदाज ही इतना निराला था
मन की वितृष्णा एकांत ढूंढती है पर मेरे इस शयनगाह में कुछ देर पश्चात् मेरी पत्नी का आगमन होने वाला था, क्या मैं उस क्षण उसके सानिध्य में मेरे मन को सांत्वना दे पाऊंगा कि म
मैं दिन चढ़े दूध ले कर घर पहुंचा ही था कि नरसिंह का फोन आ गया । उसकी बेटी दिल्ली में एमबीए कर रही थी और पढ़ाई जारी रखने के लिए अब उसे
मैने महसूस किया कि भीड़ इतनी तन्मयता से सुन रही थी एवम देख रही थी मानो किसी नुक्कड़ पर मुजरे वाली ने मुजरा करते करते अपने दुपट्टे को हवा में उछाल दिया हो । मुझे बड़ी कोफ्त
तमनार से वापसी में रात्रि के करीब ग्यारह बज गए थे अतः देर से ही उठ पाया था । मैं कल की घटनाओं को याद कर रहा था ,इसी कड़ी में याद आया कि कल मैं दूध लाना भूल गया था, मुझे
काफी देर हो गई है पत्नी जी का फोन आने ही वाला होगा कि बात ज्यादा तो नही बिगड़ गई है ,शर्मा जी के चेहरे पर एक आत्मीय मुस्कान थी। स्वाभाविक रुप से हम दोनों के मुखमंडल भी दमक
: संभ्रांत ग्रुप के एक व्यक्ति ने दार्शनिकता दिखाई , देखिए अभी इन बातो का उचित समय नहीं है , हमें पहले लड़की के उपचार के बारे में सोचना चहिए।जी, सही कह रहे है आप , 112 में फोन तो किया गया था..&n