प्रिय राजन,
शायद प्रतिदिन न लिख सकूँ। षर कोशिश जरूर करुंगा । प्रेमचंद न सही , हो सकता है एक दिन नफरतचंद तो बन ही जाऊं। कोई न पढ़े तो भी हर्ज नहीं । लिखने की गति तो तेज होगी ही। शुक्रिया मेरे भाई , इतना बल देने के लिये कि प्रयास तो कर ही सकूँ ।
शुरूआत में ज्यादा नहीं लिख पाऊँगा पर समय के साथ जब लिखने की गति बढ़ जायेगी तो अधिकाधिक लिखने की कोशिश करुंगा।