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आधार वाली माता

22 नवम्बर 2021

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जी हाँ, यहां जिक्र है वाइट वाली फोर व्हीलर का... गाय, गौमाता इज आउटडेटेड... यू नो। भई अब आधार बनने के बाद कुछ स्टेटस बढ़ाइये।

तो एक रहै कमला, एक ठो विमला और एक ठो जुमला... तीनों कभी साथ में कचरा चरा करती थीं, लेकिन रामराज आते ही उनके दिन बहुर गये हैं...

तो चलते हैं जरा चार कदम, इन फोर व्हीलर के साथ...

सीन नंबर एक:

(विमला दीवार के किनारे बैठी है और सामने रखी हरी ताजी घास में मुंह मार रही है, जबकि विमला पास में खड़ी लक्मे काजल से आंखे कजरारी कर रही है, दोनों के कानों में आधार लटक रहे हैं... दोनों कम्यूनिकेट करती हैं।)

विमला: कहां से लायी बहन, बड़ी हरी घास है।

कमला: ऐ क्या बताऊं बच्ची, सुबह से राशन की दुकान पर लाईन लगी थी, मोदी जी ने हम बहनों के लिये राशन का इंतजाम तो कर दिया, पर कमीना भनोज टिबाड़ी हमारे हिस्से की भूसी चोकर ब्लैक कर देता है... खाली हाथ आना पड़ा।

विमला: खाली... तो यह?

कमला: रिलायंस फ्रेश से लायी जा के, मोदी जी बोले हैं कि अंबानी फोकटियों को जियो दे सकता है, तो हमें घास क्यों नहीं।

विमला: यार यह मोदी जी ने हमारा जनधन खाता तो खुलवा दिया, पर बैंक में भीड़ कित्ती रहती है, एटीएम दे देते तो ठीक रहता।

कमला: ऐ वह देख...

(उधर से रम्मो भैंस इठलाती हुई जा रही थी, पर उन दोनों को देख के कांपलेक्स खा गयी।)

विमला: कितना इतराती थी यह चारा खा के कलूटी सरेना विलियम्स... अब हमारे भी जलवे हैं। अरे अपनी जुमला किधर है रे।

कमला: वह देख।

(उधर से पिंक सारी में लिपटी जुमला आ रही थी और मोड़ पर खड़ा, भगवा गमछा डाले नट्टू सांड छेड़ रहा था। आसपास 'मम्मी-आंटी' कहने वाले पुत्र लोग इस गौ-शोषण को चुपचाप देख रहे थे।)

विमला: इस मदर-पिदर की इतनी हिम्मत... गुर्रर्रर्र...

( विमला ने एंटी रोमियों को फोन लगा दिया, पुलिस वाले बाद में आये, गौरक्षा समिति वाले पहले आ गये और बीच सड़क पर नट्टू की इज्जत की वाट लगा दी गयी।)

सीन नंबर दो:

(मुखिया जी के निवास पर कमला, विमला और जुमला तीनों का स्वंयवर हो रहा था... पूरे उत्त पदेस के गबरू सांड पापा बनने का सर्टिफिकेट लेने आये थे।)

मुखिया जी: तो भाइयों, अपना-अपना कोई टैलेंट परोसिये।

(सारे गबरू भगवा गमछा लपेटे थे, लेकिन यह पर्याप्त नहीं था...

तो किसी सांड ने गाना गाया, किसी ने डांस किया, किसी ने अमिताभ की तरह जोशीले डायलाग मारे तो किसी ने शाहरुख के सिग्नेचर स्टेप की तरह हाथ फैलाने की कोशिश में अपनी टांगे तुड़ा ली।

कहने का अर्थ यह कि सबने अंतिम हद तक कोशिश की, भई रामराज में सारी इम्पोर्टेंस वाईट मम्मियों को मिल रही थी और पप्पा लोग वैसे ही लात जूते खाते दरबदरी में गुजारा कर रहे थे... सर्टिफाईड पप्पा बन जाते तो ससुरी थोड़ी इज्जत उन्हें भी मिल जाती।

जब सब चुक गये तो अंत में एक दाढ़ी वाला गबरू माईक लेके खड़ा हुआ... और तीनों आईटम देख के जोर से बोला... "मित्रों!"

मारे खुशी के तीनों बहनें वहीं लेट कर फैल गयीं और मुखिया जी को लोहिया वाले कार्डियोलाॅजिस्ट वहीं बुलाने पड़े।

बहरहाल, स्वयंवर सम्पन्न हुआ।)

सीन नंबर तीन:

(रात के खौफनाक अंधेरे में जब चारों तरफ सन्नाटा था, और कमला चारों पांव आह्वान की तरफ उठाये सो रही थी, तो कुछ पुत्रों ने उसे दबोच लिया और पास खड़ी एक गाड़ी पर चढ़ा दिया... और गाड़ी दौड़ चली।

कमला ने देखा, विमला पहले से वहां बैठी टेसुए बहा रही थी और सारा लक्मे का काजल बह चुका था।)

कमला: का चक्कर है यह बहन?

विमला: हमारी नियति बहन... हमें छोटे कसाइयों से तो बचा लिये, हमारा आधार, जनधन, राशन सब करा दिये साहेब कि दुनिया देख ले कि हम मम्मियों की कितनी भैल्यू है... और अब जो बड़े-बड़े एक्सपोर्ट हाउस हैं न... वहीं ले जायेंगे हमें।

कमला: फिर??

विमला: फिर क्या... अगले जनम मोहे गय्या न कीजौ...

बुहूहूहूहू...
 

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