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अपराध बोध

Ashfaq Ahmad

8 अध्याय
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सोशल मीडिया के सहारे दिमाग में भरते जहर का शिकार हो कर कैसे कोई गंदी सियासत का एक मोहरा बन कर अपनी जिंदगी खराब कर लेता है, यह उससे बेहतर कौन जान सकता था जिसने अपना सुनहरा भविष्य वक्ती जज्बात के हवाले हो कर खुद अपने हाथों से बर्बाद कर डाला था। 

apradh bodh

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पुस्तक के भाग

1

अपराध बोध

10 नवम्बर 2021
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<div>हिलाने पर उसकी चेतना को झटका सा लगा... दिमाग तक अस्पष्ट से शब्द पहुंचे। नींद से बोझिल दिमाग पहल

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एक मुल्ले का खून

22 नवम्बर 2021
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<p>प्रमोद बाबू को तमाशे की खबर पहले ही मिल चुकी थी। बार-बार चेहरे का पसीना पोंछते तेज कदमों से घर पं

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फेसबुक इफेक्ट

22 नवम्बर 2021
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<p>नसीर उसे कालेज से जानता था... अजय उसका खास दोस्त तो नहीं था पर बोलचाल तो थी ही और चूँकि उसे अजय क

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धर्म का धुआँ

22 नवम्बर 2021
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<p>तिवारी जी साइकिल संभाले गली से निकले ही थे कि सत्तू सामने आ गया।</p> <p>"आम-आम तिवाई चाचा।" कहने

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धर्म की रक्षा

22 नवम्बर 2021
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<p>बरेठे को अब अपनी हिमाकत का अफसोस हो रहा था... रात दस बजे ससुरी चाय प्यास लगना इतना खतरनाक भी हो स

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इस्लामोफोबिया

22 नवम्बर 2021
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<p>मुदित खामोशी से उसे देख रहा था ड्राइव करते... एक हाथ स्टेयरिंग पे और दूसरे से फोन संभाले शायद बच्

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अच्छे लोग बुरेलोग

22 नवम्बर 2021
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<p>कामिल भाई को जितनी बेबसी इस वक्त महसूस हो रही थी, उतनी ही झुंझलाहट और पछतावा भी। जिस वक्त चारबाग

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मटरू

22 नवम्बर 2021
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<p>"बोल,” थानेदार ने फिर से घुड़की दी और मटरू कुछ और भी सिमट गया।</p> <p>“साहेब, हम निर्दोष हैं, हमका

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